अनिल शर्मा,
गाँवदेवी रोड, दादर पश्चिम,
मुंबई – ४२
दिनांक : ……………………..
प्रिय अनुजा नीलम,
सस्नेह आशीर्वाद।
मैं और माँ-पिताजी यहाँ आनंद से हूँ और उम्मीद है कि तुम भी वहाँ आनंद से होगे। तुम्हारे हॉस्टल में रहने के कारण आठ महीने से मैं तुमसे मिल नहीं पाया। माँ तुमसे कुछ दिनों पहले मिलकर आई है। वो बता रही थी कि वहाँ जाकर तुम बहुत आलसी हो गई हो। तुमने शारीरिक गतिविधि बहुत काम कर दी है , जिससे तुम्हारा वजन भी बढ़ गया है। यह पत्र मैं तुम्हें प्रातः भ्रमण के महत्व के बारे में बताने के लिए लिख रहा हूँ।
प्रातः भ्रमण, यानी सुबह की सैर, हमारे स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन के लिए बहुत लाभदायक होती है। ताज़ी हवा में साँस लेने से हमारे फेफड़े स्वच्छ ऑक्सीजन से भर जाते हैं जो हमारे शरीर और दिमाग को तरोताजा बनाते हैं। इससे हमारी एकाग्रता और उत्पादकता में भी बढ़ोतरी होती है।
इसके अलावा, प्रातः भ्रमण से हमारी मांसपेशियों को हल्का-फुल्का भी व्यायाम मिलता है जो हमें चुस्त-दुरुस्त रखता है। यह हमारे पाचन की प्रक्रिया को भी तेज कर देता है जिससे हमारा वजन नियंत्रण में रहता है। सुबह की शांति और सुंदरता हमें आंतरिक शांति प्रदान करती है। यह हमें दिन भर की चुनौतियों के लिए मानसिक रूप से तैयार करता है। मैं तुम्हें सलाह दूँगा कि तुम प्रातः भ्रमण को अपने दैनिक जीवनक्रम में शामिल करो। इससे तुम्हें न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक लाभ भी होंगे।
उम्मीद है मेरा सुझाव मानकर तुम कल से ही प्रातः भ्रमण शुरू कर दोगी। यहाँ सब तुम्हें बहुत याद करते हैं। अगली बार यहाँ आना, तो चुस्त-दुरुस्त होकर आना।
तुम्हारा भाई,
अनिल शर्मा।
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