अनिल शर्मा,
गाँवदेवी रोड, दादर पश्चिम,
मुंबई – ४२
दिनांक : ……………………..
आदरणीय दादाजी,
सादर प्रणाम।
मैं यहाँ छात्रावास में आनंद से हूँ और आशा करता हूँ कि आप सब भी घर में स्वस्थ और खुशहाल होंगे। यह पत्र मैं आपको अपने नए विद्यालय के अनुभवों के बारे में बताने के लिए लिख रहा हूँ।
मेरे विद्यालय का नाम ‘श्री शिवाजी विद्या मंदिर’ है और यह मेरे घर से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। विद्यालय की आठ मंजिल की इमारत बहुत ही सुंदर और व्यवस्थित है। यहाँ के शिक्षकों का व्यवहार भी बहुत अच्छा है और वे हमें बहुत ही स्नेह से पढ़ाते हैं। विद्यालय में सभी सुविधाएँ उपलब्ध हैं, जैसे पुस्तकालय, कंप्यूटर लैब और खेल का मैदान। मेरी कक्षा में कुल 40 छात्र हैं और हम सभी मिलजुल कर पढ़ाई करते हैं। मेरी कक्षा अध्यापिका का नाम श्रीमती शर्मा है और वह बहुत ही स्नेही और विद्वान हैं। वह हमें केवल पाठ्यपुस्तकें ही नहीं बल्कि जीवन के महत्वपूर्ण पाठ भी सिखाती हैं। उनके द्वारा पढ़ाए गए पाठ हमेशा याद रहते हैं।
विद्यालय में नियमित रूप से खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। पिछले महीने हमने विज्ञान प्रदर्शनी में भाग लिया था। मैंने और मेरे मित्रों ने मिलकर एक जल शोधन का मॉडल बनाया, जिसे सभी ने बहुत सराहा। विद्यालय के प्रधानाचार्य जी ने हमें इसके लिए प्रोत्साहित भी किया। यहाँ के पुस्तकालय में बहुत सारी रोचक पुस्तकें हैं और मैं अक्सर वहाँ जाकर पुस्तकें पढ़ता हूँ। हर शनिवार को हमें अतिरिक्त गतिविधियों का समय मिलता है, जिसमें हम खेल, चित्रकला और नाटक में हिस्सा लेते हैं।
आपसे मिलने की बहुत इच्छा है। जब से छात्रावास आया हूँ, आप लोगों की बहुत याद आती है। आप जब भी समय निकाल सकें, मुझसे मिलने जरूर आइये। मैं आपको अपना पूरा विद्यालय दिखाऊँगा।
आपका प्यारा पोता,
अनिल शर्मा।