ब-504, गौरव हाइट,
गाँवदेवी रोड़,
दादर पश्चिम,
मुंबई – ४२
दिनांक : ……………………..
आदरणीय चाचाजी,
सादर प्रणाम।
आशा करता हूँ कि आप कुशलता से होंगे। मैं भी यहाँ हॉस्टल में स्वस्थ और प्रसन्न हूँ। तीन दिन पहले ही आपका पत्र मिला, उसमें आप जानना चाहते थे कि पढ़ाई के अलावा मैं किन और गतिविधियों में भाग ले रहा हूँ। कुछ दिनों पहले ही मैं और मेरे सहपाठी अपने विद्यालय की तरफ से सामाजिक सेवा कार्यक्रम के तहत बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में गए थे। हमने वहाँ के लोगों की मदद करने का फैसला किया था, क्योंकि बाढ़ की वजह से उनका बहुत नुकसान हुआ था।
जब हम वहाँ पहुँचे, तो हमने देखा कि लोग बहुत परेशान थे। उनके घर और खेत पानी में डूब गए थे, और उनके पास खाने-पीने का भी कुछ नहीं था। हमने उन्हें खाने का सामान, पीने का पानी, दवाइयाँ और कुछ कपड़े दिए। एक बूढ़ी महिला ने हमें आशीर्वाद दिया और उनके चेहरों पर जो मुस्कान आई, वह देखकर हमें अपने काम पर बहुत संतोष हुआ। लोगों की आँखों में हमारी मदद देखकर एक उम्मीद दिखी। यह देखकर हमें बहुत अच्छा लगा कि हम उनके दुख को थोड़ा कम कर पाए।
यह अनुभव मेरे लिए बहुत खास था। इस काम ने मुझे यह सिखाया कि जब हम दूसरों की मदद करते हैं तो हमें बहुत खुशी मिलती है। मेरा मानना है कि ऐसे मुश्किल समय में हम सबको एक-दूसरे के साथ खड़ा होना चाहिए। आशा है आप मेरा यह पत्र पढ़ते ही जवाब देंगे। चाचीजी को मेरा प्रणाम कहिएगा।
आपका प्यारा भतीजा,
अनिल शर्मा ।