अपने मित्र को सिनेमा देखने के दुर्व्यसन ( addiction) से बचने की चेतावनी देते हुए पत्र लिखिए|

ब-512, महावीर हाइट्स,
गांवदेवी रोड़,
दादर (पश्चिम),
मुंबई – 400028

दिनांक :

प्रिय मित्र अशोक,
सप्रेम नमस्कार।

मैं यहाँ कुशलतापूर्वक हूँ और तुम्हारी कुशलता की कामना करता हूँ। तुम्हें यह पत्र लिखते हुए मुझे थोड़ी चिंता हो रही है। दरअसल, मुझे पता चला है कि तुम आजकल बहुत अधिक सिनेमा देखने लगे हो और यह एक तरह की लत (addiction) बनती जा रही है।

प्रिय मित्र, सिनेमा देखना मनोरंजन का एक अच्छा साधन है, लेकिन किसी भी चीज़ की अति ठीक नहीं होती। जब कोई आदत एक दुर्व्यसन बन जाती है, तो वह हमारे जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने लगती है। मुझे डर है कि सिनेमा की यह लत तुम्हें अपनी पढ़ाई से भटका सकती है और तुम्हारे स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डाल सकती है। लगातार घंटों तक परदे के सामने बैठे रहने से आँखों पर जोर पड़ता है और शारीरिक गतिविधियों की कमी से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ भी हो सकती हैं। मैं तुम्हें यह सब इसलिए बता रहा हूँ क्योंकि तुम मेरे बहुत अच्छे मित्र हो और मैं तुम्हारी भलाई चाहता हूँ।

मेरा सुझाव है कि तुम सिनेमा देखने के लिए एक निश्चित समय तय करो और अपनी पढ़ाई, खेलकूद व अन्य गतिविधियों को ज्यादा महत्त्व दो। इससे तुम्हारा मन भी लगेगा और शारीरिक स्वास्थ्य भी बेहतर होगा। मुझे उम्मीद है कि तुम मेरी बात को गंभीरता से समझोगे और इस पर अमल करोगे। अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना।

तुम्हारा मित्र,
मनीष शर्मा।

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