अनिल शर्मा,
गाँवदेवी रोड,
दादर पश्चिम,
मुंबई – ४२
दिनांक : ……………………..
प्रिय मित्र अशोक,
सप्रेम नमस्कार।
मैं यहाँ कुशलता से हूँ और आशा करता हूँ कि तुम भी वहाँ आनंद से होगे। जब से तुम हॉस्टल गए हो तब से तुमसे बातचीत काफी कम हो गयी है। पत्र तो तुम लिखते ही नहीं। इसलिए मैंने सोचा कि मैं ही तुम्हें पत्र लिखकर मेरे विद्यालय में आयोजित विज्ञान प्रदर्शनी के अनुभव के बारे में बताऊँ।
हर साल की तरह इस साल भी वार्षिक परीक्षा के बाद मेरे विद्यालय ने विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन किया था। कक्षा आठवीं, नौवीं और दसवीं के विद्यार्थियों को इसमें अपना प्रोजेक्ट दिखाने की अनुमति मिली थी। हम विद्यार्थियों ने 3 से 4 विद्यार्थियों के लगभग पच्चीस ग्रुप बना लिए। हर किसी ने अपना प्रोजेक्ट तय कर लिया था। वार्षिक परीक्षा तो खत्म हो चुकी थी तो समय बहुत था। किसी ने सौर ऊर्जा पर काम करने वाली गाड़ी बनाई तो किसी ने बोलता रोबोट बनाया। किसी ने एक जगह पर ठहर कर उड़ने वाला ड्रोन बनाया। बहुत मजेदार प्रोजेक्ट्स थे। मैंने मेरे ग्रुप के साथ मिलकर स्मार्ट इलेक्ट्रिक स्विच बनाए जिन्हें वाईफाई से नियंत्रित किया जा सकता था।
प्रदर्शनी में कई विद्यालयों के विद्यार्थी आए थे। खूब भीड़ थी, सुबह से शाम तक सबको अपना प्रोजेक्ट समझाते-समझाते हम सब विद्यार्थी बहुत थक गए लेकिन प्रदर्शनी के सफल होने की मन में बड़ी खुशी थी। इस प्रदर्शनी ने मुझे सिखाया कि किस तरह ग्रुप में मिलकर काम करने से बहुत मुश्किल लगने वाले प्रोजेक्ट भी पूरे किए जा सकते हैं। मेरा खुद का प्रोजेक्ट पूरा करते हुए मैंने इलेक्ट्रिसिटी और इलेक्ट्रॉनिक्स के बारे में बहुत कुछ सीखा। प्रदर्शनी पूरी होने के बाद मेरे मन में सफलता की अनुभूति थी। तुम जब घर आओगे तो तुम्हें भी मेरा प्रोजेक्ट दिखाऊंगा। मुझे उम्मीद है कि अगला पत्र तुम मुझे जल्दी लिखोगे और अपने हॉस्टल के अनुभव के बारे में बताओगे।
तुम्हारा मित्र,
अनिल शर्मा ।