एक घने जंगल में, एक बहुत बड़ा बरगद का पेड़ था। उस पेड़ पर कबूतरों का एक झुंड रहता था। उन सब में एक बूढ़ा कबूतर बहुत समझदार था। वह सभी कबूतरों का राजा था और हमेशा उन्हें मिल-जुलकर रहने की सलाह देता था।
एक दिन, सभी कबूतर भोजन की तलाश में उड़ रहे थे। अचानक, उन्हें ज़मीन पर बहुत सारा दाना बिखरा हुआ दिखाई दिया। दाना देखकर सभी कबूतरों के मुँह में पानी आ गया और वे नीचे उतरने लगे। तभी बूढ़े कबूतर ने उन्हें रोका और कहा, “रुको! इस सुनसान जंगल में इतना सारा दाना कहाँ से आया? इसमें ज़रूर कोई खतरा है। हमें लालच नहीं करना चाहिए।” लेकिन युवा कबूतरों ने उसकी बात नहीं मानी। वे बोले, “आप तो हमेशा शक करते रहते हैं। हमें बहुत भूख लगी है, हम तो दाना खाने जा रहे हैं।”
यह कहकर, सारे कबूतर नीचे उतर गए और दाना चुगने लगे। जैसे ही उन्होंने दाना चुगना शुरू किया, उन पर एक बड़ा सा जाल आ गिरा और वे सब उसमें फँस गए। अब वे बहुत घबरा गए और चिल्लाने लगे। उन्होंने जाल से निकलने के लिए खूब पंख फड़फड़ाए, पर कोई फायदा नहीं हुआ। तभी, जाल बिछाने वाला शिकारी आता हुआ दिखाई दिया। उसे देखकर तो कबूतरों की जान ही निकल गई। बूढ़े कबूतर ने हिम्मत से काम लिया और बोला, “घबराओ मत! अगर हम सब अलग-अलग ज़ोर लगाएँगे तो नहीं निकल पाएँगे। लेकिन अगर हम सब मिलकर एक साथ ज़ोर लगाएँ, तो हम इस जाल को लेकर उड़ सकते हैं। मेरी बात ध्यान से सुनो। जब मैं तीन गिनूँ, तो सब एक साथ पंख फड़फड़ाना और ऊपर की ओर उड़ना।”
सब कबूतरों ने उसकी बात मान ली। जैसे ही बूढ़े कबूतर ने गिना, “एक… दो… तीन!”, सभी कबूतरों ने एक साथ पूरी ताकत से ज़ोर लगाया। और यह क्या! जाल सचमुच हवा में ऊपर उठ गया! सभी कबूतर जाल को लेकर एक साथ आसमान में उड़ने लगे। शिकारी नीचे खड़ा बस देखता ही रह गया। बूढ़ा कबूतर उन्हें पास की एक पहाड़ी पर ले गया जहाँ उसका एक दोस्त चूहा रहता था। चूहे ने अपने तेज दाँतों से जाल को काट दिया और सभी कबूतर आजाद हो गए। सभी कबूतरों ने बूढ़े कबूतर को धन्यवाद दिया और उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ। उस दिन वे समझ गए कि एकता में ही सच्ची शक्ति है।
शिक्षा: इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि एकता में बहुत बल होता है। मिल-जुलकर काम करने से हम बड़ी से बड़ी मुश्किल का भी सामना कर सकते हैं।