सच्ची मित्रता

एक जंगल में मंटू नाम का एक नटखट बंदर और गोलू नाम का एक हाथी रहता था। दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे। मंटू दिन भर पेड़ों पर उछल-कूद करता और गोलू शांत स्वभाव से नदी में नहाता और मीठे गन्ने खाता था।

एक दिन, मंटू की नज़र एक ऊँची डाल पर लगे मधुमक्खी के छत्ते पर पड़ी। उसके मुँह में शहद खाने का लालच आ गया। उसने गोलू से कहा, “दोस्त, देखो! कितना बड़ा छत्ता है। मैं जाकर शहद लेकर आता हूँ।” गोलू ने उसे समझाया, “नहीं मंटू, ऐसा मत करो। मधुमक्खियाँ बहुत खतरनाक होती हैं, वे तुम्हें काट लेंगी।”

लेकिन मंटू ने अपने दोस्त की बात नहीं मानी। वह बोला, “तुम चिंता मत करो, मैं बहुत फुर्तीला हूँ,” और वह तेजी से पेड़ पर चढ़ गया। उसने जैसे ही छत्ते में हाथ डाला, हजारों मधुमक्खियाँ भिनभिनाती हुई बाहर निकल आईं और मंटू पर हमला कर दिया। मंटू दर्द से चिल्लाने लगा, “बचाओ! बचाओ!”

अपने दोस्त की चीख सुनकर गोलू तुरंत नदी की ओर भागा। उसने अपनी सूँड में ढेर सारा पानी भरा और वापस आकर मधुमक्खियों के ऊपर पानी की बौछार कर दी। पानी पड़ते ही सारी मधुमक्खियाँ उड़ गईं। गोलू ने घायल मंटू को प्यार से अपनी सूँड पर बैठाया और पेड़ के नीचे ले आया। मंटू की आँखों में आँसू थे। उसने गोलू से माफी माँगी और कहा, “मुझे माफ कर दो दोस्त। मैंने तुम्हारी बात नहीं मानी। आज तुमने मेरी जान बचा ली।”

गोलू ने मुस्कुराकर कहा, “कोई बात नहीं। दोस्त ही तो दोस्त के काम आता है।”

शिक्षा: इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सच्चा मित्र वह है जो हमारी गलती पर भी हमारा साथ नहीं छोड़ता और हर मुसीबत में हमारी मदद करता है।

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