प्रस्तुत कथन पर आधारित एक मौलिक घटना लिखिए:
आत्मविश्वास (Self-confidence) से बड़ी और कोई शक्ति नहीं है।
मनुष्य की क्षमता (capability) को मापना कभी भी संभव नहीं रहा है। इंसान कब किस ऊंचाई (height) को छू ले, इसका अंदाज़ा (estimation) नहीं लगाया जा सकता। छोटी कक्षाओं में साधारण प्रदर्शन करने वाला विद्यार्थी कभी-कभी अचानक मेधावी (meritorious/brilliant) विद्यार्थी बन जाता है। खेल अभ्यास (practice) के शुरुआती (initial) दिनों में औसत दर्जे (average level) का खिलाड़ी कभी-कभी इतना बेहतरीन (excellent) बन जाता है कि भरोसा (trust/belief) ही नहीं होता कि यह वही व्यक्ति है। मनुष्य के जीवन में जो यह बड़ा परिवर्तन (transformation) आता है, उसके पीछे हमेशा आत्मविश्वास की शक्ति होती है।
अमेरिका के एक मशहूर (famous) पत्रकार और लेखक रिक कलगार्ड का जीवन इसका जीता-जागता (living) उदाहरण है। रिक बचपन में एक कमज़ोर विद्यार्थी थे। विद्यालय में उनका प्रदर्शन हमेशा औसत से कम ही रहता था। उन्हें खुद कोई उम्मीद नहीं थी कि वे कभी पढ़ाई में कुछ अच्छा कर पाएँगे।
अमेरिका में कॉलेज में एडमिशन के लिए कॉलेज प्रवेश परीक्षा (SAT Exam) ज़रूरी होती है। रिक ने भी कॉलेज प्रवेश परीक्षा दी। उन्हें अपने अच्छे प्रदर्शन की कोई ख़ास (particular) उम्मीद नहीं थी। लेकिन जब परीक्षा का परिणाम (result) आया तो चमत्कार (miracle) हो गया। रिक को 1600 में से 1400 अंक मिले थे, जो कि बहुत ज़्यादा अच्छे थे।
इतने अच्छे अंकों की वजह (reason) से उन्हें बहुत अच्छे कॉलेज में एडमिशन मिल गया। रिक को यह लगने लगा कि वे बहुत समझदार हैं। उनका आत्मविश्वास बहुत बढ़ गया और उन्होंने पहले से ज़्यादा मेहनत करनी शुरू कर दी। पहले जो पढ़ाई उनके लिए पहाड़ तोड़ने जितनी मुश्किल (difficult) थी, अब उसे अपनी मेहनत और आत्मविश्वास के बल (strength) पर आसानी से पूरी करने लगे।
रिक का कॉलेज में प्रदर्शन बहुत शानदार (spectacular) हो गया। वहाँ से बाहर निकलकर वे एक सफल पत्रकार, लेखक और उद्यमी (entrepreneur) बने। अपनी विद्वता (erudition/scholarship) के बल पर उन्होंने बहुत नाम कमाया। बहुत सारी किताबें लिखीं, जो काफी लोकप्रिय (popular) हुईं। बड़े-बड़े अख़बारों में उनके इंटरव्यू छपने लगे और धीरे-धीरे पूरे अमेरिका में उनके नाम का डंका बजने लगा (became exceedingly famous).
रिक को कॉलेज प्रवेश परीक्षा (SAT Exam) दिए लगभग बीस वर्ष बीत गए। एक दिन अचानक रिक को कॉलेज प्रवेश परीक्षा (SAT Exam) बोर्ड से एक पत्र आया। उसमें बोर्ड के अधिकारियों (officials) ने रिक से माफ़ी (apology) मांगी थी कि रिक को जो कॉलेज प्रवेश परीक्षा (SAT Exam) के नंबर दिए गए थे, वे ग़लत (incorrect) थे। रिक को उनके सही अंकों की प्रति (copy) भी भेजी गई। रिक के वास्तविक (real/actual) अंक बहुत कम थे। उसका कॉलेज प्रवेश परीक्षा में प्रदर्शन बहुत ख़राब था।
विद्यार्थी जीवन में रिक को स्वयं ही यह लगता था कि वे बहुत कमज़ोर विद्यार्थी हैं और उनका प्रदर्शन भी उसी तरह का रहता था। कॉलेज प्रवेश परीक्षा (SAT Exam) में रिक को जो अच्छे अंक मिले, भले (even though) वे ग़लत थे, लेकिन उसने रिक में आत्मविश्वास भर दिया। उन्हें लगने लगा कि वे बहुत समझदार हैं और परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। उनके आत्मविश्वास ने उन्हें एक कमज़ोर विद्यार्थी से एक जाना-माना (renowned) उद्यमी बना दिया।
रिक के जीवन की यह घटना बहुत लोगों को प्रेरणा (inspiration) देती है। रिक ने अपने आत्मविश्वास के दम (strength) पर अपनी कमज़ोरियों (weaknesses) को जीता (overcame) और विभिन्न (various) क्षेत्रों (fields) में सफल हुए। रिक ही नहीं, कोई भी मनुष्य आत्मविश्वास के दम पर मनचाही (desired) सफलता पा सकता है। आत्मविश्वास मनुष्य की सबसे बड़ी शक्ति है। इसी के दम पर मनुष्य ने पहाड़ों का सीना चीरकर (overcoming tremendous obstacles) सुरंगें (tunnels) बनाईं, समुद्र की गहराइयों (depths) को नापा, अंतरिक्ष (space) की ऊंचाइयों को छुआ। मनुष्य के विकास (progress) की सबसे पहली सीढ़ी (step) उसका आत्मविश्वास ही होता है।