रक्षाबंधन

रक्षाबंधन भारत का एक पवित्र पर्व है जो भाई-बहन के निर्मल स्नेह और विश्वास का प्रतीक माना जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधती है, और भाई उसकी रक्षा का वचन देता है। सदियों से यह त्योहार पारिवारिक प्रेम को प्रगाढ़ करता आ रहा है। प्राचीन कथाओं से लेकर आधुनिक समाज तक, रक्षाबंधन का महत्व कम नहीं हुआ है। बल्कि बदलते समय के साथ इसका स्वरूप ज़रूर बदला है, पर भावना वैसी ही बनी हुई है।

राखी बाँधने के समय बहन भाई के माथे पर तिलक लगाती है और मिठाई खिलाती है। भाई, बहन को उपहार देकर उसके प्रति अपने प्रेम का इज़हार करता है। इस विधि में न सिर्फ़ रेशम के धागे का आदान-प्रदान होता है, बल्कि भावनाओं का सुंदर सम्मिलन भी दिखाई देता है। बहन को भरोसा रहता है कि कोई संकट आने पर उसका भाई सबसे पहले उसके साथ खड़ा होगा, और भाई को यह संतोष रहता है कि वह अपनी बहन को हर विपत्ति से बचा लेगा।

आज के समय में रक्षाबंधन सिर्फ़ भाई-बहन की रक्षा या उपहारों तक सीमित नहीं रहा। अब इसके विस्तृत रूप देखने को मिलते हैं, जहाँ महिलाएँ सेना और पुलिसकर्मियों को राखी बाँधकर राष्ट्र रक्षा के प्रति उनके योगदान को सराहती हैं। यह त्योहार मनुष्य के भीतर सहयोग, दया और एकता के भाव जगाने में भी सहायक है। विभिन्न सामाजिक संस्थाएँ रक्षाबंधन पर अनाथालयों, वृद्धाश्रमों और ज़रूरतमंद लोगों के बीच यह पर्व मनाती हैं, जिससे समाज में सद्भाव और प्रेम बढ़ता है।

रक्षाबंधन का एक प्रमुख संदेश यह है कि हम अपने रिश्तों का सम्मान करें और एक-दूसरे को भावनात्मक संबल प्रदान करें। इस पर्व से हमें परिवार की उपयोगिता, परस्पर देखभाल और प्रेम की महत्ता समझ में आती है। बदलते समय के साथ यह त्यौहार भले ही थोड़ा आधुनिक रूप ले चुका हो, लेकिन इसका मूल उद्देश्य – प्रेम और रक्षा का आदान-प्रदान – सदैव अमिट रहेगा।

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