मनुष्य के सम्पूर्ण विकास में शारीरिक स्वास्थ्य का विशेष स्थान रहा है। प्राचीन समय में लोगों का दैनिक जीवन श्रमसाध्य हुआ करता था, इसलिए उन्हें अलग से व्यायाम की आवश्यकता कम ही पड़ती थी। किंतु आधुनिक जीवनशैली में अधिकांश कार्यों के लिए मशीनों और तकनीक का सहारा लिया जाने लगा है। इससे शरीर को श्रम का अवसर नहीं मिल पाता, जिसके परिणामस्वरूप अनेक बीमारियाँ जन्म लेने लगी हैं।
व्यायाम का नियमित अभ्यास हमारे शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखने में सहायक होता है। यह रक्त-संचार को बेहतर करता है और मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। वैज्ञानिक शोधों के अनुसार नियमित व्यायाम से तनाव और अवसाद जैसी मानसिक समस्याओं में भी राहत मिलती है, क्योंकि इससे मस्तिष्क में प्रसन्नता के हार्मोन उत्पन्न होते हैं। शरीर को लचीला बनाए रखने के साथ-साथ यह हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है, जिससे हम मौसमी बीमारियों का सामना बेहतर ढंग से कर पाते हैं।
व्यायाम कई प्रकार से किया जा सकता है। कुछ लोग दौड़ना, साइकिल चलाना या तैराकी जैसे एरोबिक व्यायाम पसंद करते हैं, जबकि अन्य लोग योगासन और प्राणायाम का अभ्यास करते हैं। किसी भी रूप में किया गया व्यायाम लाभदायक होता है, बशर्ते उसे नियमित रूप से किया जाए। अक्सर देखा जाता है कि लोग जोश में कुछ दिन व्यायाम करते हैं, फिर छोड़ देते हैं। इससे अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पाते। अतः दृढ़निश्चय के साथ प्रतिदिन अथवा सप्ताह में कम से कम चार-पाँच बार व्यायाम करना चाहिए।
व्यायाम को अपनाना केवल शरीर के लिए ही नहीं, बल्कि मन-मस्तिष्क के लिए भी आवश्यक है। यह हमें अनुशासित बनाता है और कार्यक्षमता में वृद्धि करता है। उचित आहार और पर्याप्त विश्राम के साथ यदि हम नियमित रूप से व्यायाम करें, तो शरीर तथा मन दोनों स्वस्थ रहेंगे। इस तरह व्यायाम जीवन का अभिन्न अंग बनकर हमें रोगों से बचाता है और सक्रिय जीवनशैली की ओर अग्रसर करता है।