क) अचानक एक दिन सवेरे कमरे से बरामदे में आकर मैंने देखा, दो कौवे एक गमले के चारों ओर चोंचों से छूआ-छूआवल जैसा खेल खेल रहे हैं।
प्रश्न 1: दो कौवे गमले के चारों ओर क्या कर रहे थे और वे क्या खोज रहे थे?
उत्तर: दो कौवे गमले के चारों ओर अपनी चोंचों से छूआ-छूआवल जैसा खेल खेल रहे थे। वे वास्तव में गिलहरी के एक छोटे से बच्चे को निशाना बना रहे थे, जो घोंसले से गिर पड़ा था। कौवे उसे सुलभ आहार के रूप में देख रहे थे और उसे खाने की कोशिश कर रहे थे।
प्रश्न 2: जब लेखिका ने गिलहरी के बच्चे को देखा, तब वह किस अवस्था में था?
उत्तर: जब लेखिका ने गिलहरी के बच्चे को देखा, तो वह निश्चेष्ट-सा गमले से चिपका पड़ा था। कौवों की चोंच के घावों से वह घायल और कमजोर हो गया था। वह हिल-डुल भी नहीं पा रहा था और बेहद दयनीय स्थिति में था।
प्रश्न 3: अन्य लोगों ने गिलहरी के बच्चे के बारे में लेखिका से क्या कहा और क्यों?
उत्तर: अन्य लोगों ने लेखिका से कहा कि कौवे की चोंच के घाव लगने के बाद यह बच्चा बच नहीं सकेगा, इसलिए इसे ऐसे ही छोड़ देना चाहिए। उनका मानना था कि उसका जीवित रहना असंभव है और प्रयास व्यर्थ होगा।
प्रश्न 4: लेखिका ने गिलहरी के बच्चे की देखभाल कैसे की?
उत्तर: लेखिका का मन नहीं माना, इसलिए उन्होंने उसे हौले से उठाकर अपने कमरे में ले आईं। उन्होंने रूई से उसके घावों का रक्त पोंछा और पेंसिलिन का मरहम लगाया। फिर रूई की पतली बत्ती को दूध में भिगोकर उसके नन्हे से मुंह में लगाने की कोशिश की, लेकिन उसका मुंह नहीं खुल पाया और दूध की बूंदें दोनों ओर ढुलक गईं। उन्होंने धैर्य नहीं खोया और उसकी देखभाल जारी रखी।
ख) तीसरे दिन वह इतना अच्छा और आश्वस्त हो गया कि मेरी उंगली अपने दो नन्हे पंजों से पकड़कर, नीले कांच के मोतियों जैसी आंखों से इधर-उधर देखने लगा।
प्रश्न 1: गिलहरी के बच्चे का क्या नाम रखा गया और इसका क्या कारण था?
उत्तर: गिलहरी के बच्चे का नाम “गिल्लू” रखा गया। तीन-चार महीने में उसके स्निग्ध रोएं, झब्बेदार पूंछ और चंचल, चमकीली आंखें देखकर सबको आश्चर्य होता था। उसकी प्यारी और चंचल प्रकृति के कारण उसे प्यार से “गिल्लू” कहा जाने लगा।
प्रश्न 2: लेखिका ने गिल्लू का घर कैसे बनाया और वह कहाँ था?
उत्तर: लेखिका ने फूल रखने की एक हल्की डलिया में रूई बिछाकर उसे तार से खिड़की पर लटका दिया। यह डलिया ही गिल्लू का घर बनी, जहाँ वह आराम से रहता था। वही दो वर्षों तक गिल्लू का घर रहा, जहाँ से वह अंदर और बाहर देखता रहता था।
प्रश्न 3: गिल्लू लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए क्या करता था?
उत्तर: जब लेखिका लिखने बैठतीं, तो गिल्लू उनका ध्यान आकर्षित करने के लिए उनके पैर तक आकर सर्र से परदे पर चढ़ जाता और फिर तेजी से उतरता। उसका यह दौड़ने का क्रम तब तक चलता रहता, जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए न उठतीं।
प्रश्न 4: लेखिका गिल्लू को शांत करने के लिए क्या उपाय करती थीं?
उत्तर: लेखिका गिल्लू को पकड़कर एक लंबे लिफ़ाफ़े में इस तरह रख देती थीं कि उसके अगले दो पंजों और सिर के अलावा उसका सारा छोटा शरीर लिफ़ाफ़े के भीतर बंद रहता था। इस अद्भुत स्थिति में वह शांत रहता और अपनी चमकीली आंखों से लेखिका को काम करते हुए देखता रहता था।
ग) भूख लगने पर चिक-चिक करके मानो वह मुझे सूचना देता और काजू या बिस्कुट मिल जाने पर उसी स्थिति में लिफ़ाफ़े से बाहर वाले पंजों से पकड़कर उसे कुतरता रहता।
प्रश्न 1: गिल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता लेखिका को कब और क्यों महसूस हुई?
उत्तर: जब गिल्लू के जीवन का पहला बसंत आया, तो बाहर की गिलहरियाँ खिड़की की जाली के पास आकर चिक-चिक करने लगीं। गिल्लू भी जाली के पास बैठकर बाहर झांकता था। यह देखकर लेखिका को लगा कि गिल्लू को मुक्त करना आवश्यक है, ताकि वह अपनी प्राकृतिक दुनिया में वापस जा सके और अन्य गिलहरियों के साथ रह सके।
प्रश्न 2: गिल्लू को आज़ाद करने के लिए लेखिका ने क्या किया?
उत्तर: गिल्लू को आज़ाद करने के लिए लेखिका ने खिड़की की जाली की कीलें निकालकर उसका एक कोना खोल दिया। इस मार्ग से गिल्लू बाहर जाने लगा और उसने सचमुच ही मुक्ति की सांस ली। अब वह स्वतंत्र रूप से अंदर-बाहर आ-जा सकता था।
प्रश्न 3: गिल्लू बाहर जाकर क्या करता था और कब वापस आता था?
उत्तर: गिल्लू दिन भर बाहर गिलहरियों के झुंड का नेता बनकर पेड़ों की हर डाल पर उछल-कूद करता रहता था। ठीक चार बजे वह खिड़की से भीतर आकर अपने झूले में झूलने लगता था। यह उसका नित्य का क्रम बन गया था कि दिन में बाहर मस्ती करता और शाम को घर लौट आता था।
प्रश्न 4: गिल्लू लेखिका को चौंकाने के लिए कौन-कौन से खेल करता था?
उत्तर: गिल्लू को लेखिका को चौंकाने की आदत हो गई थी। वह कभी फूलदान के फूलों में छिप जाता, कभी परदे की चुन्नट में और कभी सोनजुही की पत्तियों में छिपकर बैठ जाता था। जब लेखिका पास से गुजरतीं, तो अचानक निकलकर उन्हें आश्चर्यचकित कर देता था।
घ) गिल्लू इनमें अपवाद था।
प्रश्न 1: अन्य पशु-पक्षियों से गिल्लू कैसे अलग था?
उत्तर: लेखिका के पास कई पशु-पक्षी थे, लेकिन उनमें से कोई भी उनके साथ उनकी थाली में खाने की हिम्मत नहीं करता था। गिल्लू इनमें अपवाद था। वह बेझिझक लेखिका के साथ खाने की मेज़ पर आ जाता और उनकी थाली के पास बैठकर एक-एक चावल बड़ी सफाई से खाता था।
प्रश्न 2: गिल्लू का प्रिय भोजन क्या था और उसके न मिलने पर वह क्या करता था?
उत्तर: गिल्लू का प्रिय भोजन काजू था। कई दिन तक काजू न मिलने पर वह अन्य खाने की चीजें या तो लेना बंद कर देता या अपने झूले से नीचे फेंक देता था। वह अपने प्रिय भोजन के प्रति बहुत चयनशील था और उसकी अनुपस्थिति में नाराज़गी प्रकट करता था।
प्रश्न 3: लेखिका के अस्पताल में रहने के दौरान गिल्लू का व्यवहार कैसा था?
उत्तर: जब लेखिका मोटर दुर्घटना के कारण अस्पताल में थीं, उन दिनों गिल्लू बहुत उदास रहता था। जब भी कमरे का दरवाज़ा खोला जाता, वह अपने झूले से उतरकर दौड़ता, लेकिन किसी और को देखकर वापस घोंसले में जा बैठता था। वह अपना प्रिय काजू भी कम खाता था, जो उसकी उदासी का संकेत था।
प्रश्न 4: लेखिका की अस्वस्थता में गिल्लू ने उनकी कैसे देखभाल की?
उत्तर: लेखिका की अस्वस्थता के दौरान गिल्लू तकिए पर सिरहाने बैठकर अपने नन्हे-नन्हे पंजों से उनके सिर और बालों को बहुत हौले-हौले सहलाता रहता था। उसका यह स्नेहपूर्ण स्पर्श ऐसा लगता था जैसे कोई परिचारिका उनकी देखभाल कर रही हो।
ङ) गिलहरियों के जीवन की अवधि दो वर्ष से अधिक नहीं होती, अतः गिल्लू की जीवन यात्रा का अंत आ ही गया।
प्रश्न 1: गर्मियों में गिल्लू ने गर्मी से बचने का क्या नया उपाय खोजा?
उत्तर: गर्मियों में जब लेखिका दोपहर में काम करती रहतीं, तो गिल्लू न बाहर जाता और न अपने झूले में बैठता। उसने गर्मी से बचने और लेखिका के समीप रहने के लिए एक नया उपाय खोजा। वह उनके पास रखी सुराही पर लेट जाता था। इस तरह वह ठंडक में भी रहता और लेखिका के निकट भी।
प्रश्न 2: गिल्लू के जीवन का अंत कैसे हुआ?
उत्तर: एक दिन गिल्लू ने दिन भर न कुछ खाया और न ही बाहर गया। रात में वह अपने झूले से उतरकर लेखिका के बिस्तर पर आया और ठंडे पंजों से उनकी उंगली पकड़कर हाथ से चिपक गया। प्रभात की प्रथम किरण के स्पर्श के साथ ही वह सदा के लिए सो गया। इस तरह उसकी जीवन यात्रा का शांतिपूर्ण अंत हुआ।
प्रश्न 3: गिल्लू ने अंतिम समय में लेखिका के साथ क्या किया?
उत्तर: अंतिम समय में गिल्लू ने अपने ठंडे पंजों से लेखिका की उसी उंगली को पकड़कर हाथ से चिपक गया, जिसे उसने अपने बचपन की मरणासन्न स्थिति में पकड़ा था। यह उसके और लेखिका के बीच गहरे संबंध का प्रतीक था। उसने अपने अंतिम क्षणों में भी लेखिका का सानिध्य नहीं छोड़ा।
प्रश्न 4: गिल्लू की मृत्यु के समय लेखिका ने उसकी सहायता के लिए क्या प्रयास किया?
उत्तर: गिल्लू के ठंडे पंजों को महसूस करके लेखिका ने जागकर हीटर जलाया और उसे उष्णता देने का प्रयास किया। वह पूरी कोशिश कर रही थीं कि किसी तरह गिल्लू की हालत सुधर जाए। लेकिन प्रकृति के नियमों के आगे उनकी कोशिश काम नहीं आई और गिल्लू की मृत्यु हो गई।