क) सोना अचानक आई थी, परंतु वह तब तक अपनी शैशव अवस्था भी पार नहीं कर सकी थी।
1) सोना कैसी दिखती थी?
उत्तर: सोना का कोमल और लघु शरीर सुनहरे रेशमी लच्छों की गाँठ के समान था। उसका छोटा-सा मुँह और बड़ी-बड़ी आँखें थीं, जिन्हें देखकर ऐसा लगता था कि वे अभी छलक पड़ेंगी। उसकी मासूमियत और कोमलता ने सभी का मन मोह लिया था।
2) लेखक ने सोना की कथा को कैसी व्यथा-कथा कहा है और क्यों?
उत्तर: लेखक ने सोना की कथा को मिट्टी की ऐसी व्यथा-कथा कहा है, जिसे मनुष्य की निष्ठुरता ने गला दिया है। यह कथा न किसी दुर्लभ हीरे की है और न ही बहुमूल्य मोती की, बल्कि यह एक मासूम प्राणी की दुःखभरी कहानी है जो मानव की निर्दयता को दर्शाती है।
3) सोना की माँ के साथ क्या हुआ था?
उत्तर: जब शिकारियों की आहट से मृग चौंककर भागे, तो सोना की माँ अपने शिशु के साथ भागने में असमर्थ रही। मृगी माँ ने अपने शावक को सुरक्षित रखने के प्रयास में अपने प्राण त्याग दिए। शिकारी मृत हिरनी के साथ जीवित शावक को भी उठा लाए।
4) सोना लेखक के पास कैसे पहुँची?
उत्तर: शिकारी द्वारा लाए गए शावक को एक दयावान परिवार ने कुछ दिन दूध पिलाकर जीवित रखा। फिर एक बालिका को लेखक का स्मरण आया और वह सोना को उनके पास ले आई। लेखक ने उसकी धूमिल बचने की आशा के बावजूद उसे स्वीकार किया और उसके पालन-पोषण का कठिन कार्य आरंभ किया।
ख) उसका दिन भर का कार्यकलाप भी एक प्रकार से निश्चित था।
1) सोना का दैनिक कार्यकलाप क्या था?
उत्तर: सोना का दैनिक कार्यकलाप निश्चित था। वह दूध और भीगे चने खाकर कम्पाउंड में चौकड़ी भरती थी। फिर छात्रावास जाकर प्रत्येक कमरे का भीतर-बाहर निरीक्षण करती थी। वह विद्यालय और छात्रावास की ऐसी प्रिय साथी बन गई थी कि उसके बिना छात्राओं का मन नहीं लगता था।
2) छात्राएँ सोना के साथ कैसे समय बिताती थीं?
उत्तर: छात्राएँ सोना के माथे पर कुमकुम का बड़ा-सा टीका लगाती थीं, उसके गले में रिबन बाँधती थीं और उसे पूजा के बताशे खिलाती थीं। उसकी उपस्थिति से छात्रावास में एक नया उत्साह भर जाता था और वह सबकी चहेती बन गई थी।
3) सोना को कौन से खाद्य पदार्थ पसंद थे?
उत्तर: सोना को बिस्कुट बहुत पसंद थे, जबकि अन्य खाद्य पदार्थ कम भाते थे। उसे कच्ची सब्ज़ी अधिक पसंद थी। वह घास के मैदान में दूब चरती और उस पर लोटती रहती थी, जिससे उसे विशेष आनंद मिलता था।
4) सोना लेखक के भोजन के समय क्या करती थी?
उत्तर: लेखक के भोजन का समय सोना कैसे जान लेती थी, यह रहस्य था। वह ठीक उसी समय भीतर आ जाती और ममता से उनसे सटकर खड़ी रहती थी जब तक उनका खाना समाप्त नहीं हो जाता। उसे कुछ चावल, रोटी आदि भी प्राप्त होते थे, जिन्हें वह प्रेम से खाती थी।
ग) घंटी बजते ही वह फिर प्रार्थना के मैदान में पहुँच जाती।
1) सोना को छोटे बच्चे क्यों प्रिय थे?
उत्तर: छोटे बच्चे सोना को इसलिए प्रिय थे क्योंकि उनके पास खेलने का अधिक समय रहता था। वे उसके साथ खेलते, उसे पुकारते और उसके साथ समय बिताते थे। उनकी मासूमियत और उत्साह सोना को आकर्षित करते थे।
2) बच्चों के साथ सोना कौन सा खेल खेलती थी?
उत्तर: बच्चे पंक्तिबद्ध खड़े होकर “सोना-सोना” पुकारते और वह उनके ऊपर से छलाँग लगाकर एक ओर से दूसरी ओर कूदती रहती थी। यह सरकस जैसा खेल कई घंटों तक चलता था, जो बच्चों के लिए अत्यंत मनोरंजक था।
3) लेखक के प्रति सोना का स्नेह-प्रदर्शन कैसा था?
उत्तर: सोना लेखक के प्रति अपना स्नेह विभिन्न तरीकों से प्रदर्शित करती थी। वह उनके सिर के ऊपर से छलाँग लगाती, पैरों से अपना शरीर रगड़ती, साड़ी का छोर मुँह में भर लेती और कभी उनकी चोटी चबा डालती। उसकी ऐसी हरकतों से लेखक के चेहरे पर मुस्कान आ जाती थी।
4) सोना के छलाँग लगाने पर लोग क्यों चिंतित होते थे?
उत्तर: जब सोना लेखक के सिर के ऊपर से छलाँग लगाती थी, तो देखनेवालों को भय होता था कि कहीं उसके पैरों से लेखक को चोट न लग जाए। परंतु सोना अपने पैरों को सिकोड़े रहती थी और इतनी ऊँचाई से लाँघती थी कि चोट लगने की कोई संभावना नहीं रहती थी।
घ) मेरी बिल्ली गोधूलि, कुत्ते हेमंत-वसंत, कुतिया फ़्लोरा, सब पहले इस नए अतिथि को देखकर रुष्ट हुए।
1) अन्य पालतू पशुओं ने सोना को कैसे स्वीकार किया?
उत्तर: प्रारंभ में अन्य पालतू पशु जैसे गोधूलि, हेमंत-वसंत और फ़्लोरा सोना को देखकर रुष्ट हुए थे। लेकिन सोना ने अपने स्नेहपूर्ण स्वभाव से थोड़े ही दिनों में सबके साथ गाढ़ी मित्रता कर ली। वे सब साथ में खेलते, उछलते-कूदते और आनंदित होते थे।
2) फ़्लोरा के पिल्लों के साथ सोना का क्या संबंध था?
उत्तर: फ़्लोरा के पिल्लों के जन्म के बाद सोना ने उनके प्रति विशेष स्नेह दिखाया। वह उनके बीच लेट जाती और पिल्ले उसके उदर में दूध खोजते थे। फ़्लोरा भी सोना पर विश्वास करती थी और अपने पिल्लों को उसके संरक्षण में छोड़कर चली जाती थी।
3) सोना की सुन्दरता में समय के साथ क्या परिवर्तन आया?
उत्तर: वर्षभर में सोना की टाँगें अधिक सुडौल हो गईं, खुरों में चमक आ गई और आँखें बड़ी व लचीली हो गईं। उसकी दृष्टि में ऐसी चमक थी मानो नीलम के बल्बों में ज्वाला चमक रही हो। उसकी सुन्दरता समय के साथ और निखरती गई।
4) सोना ने पिल्लों के बड़े होने पर क्या किया?
उत्तर: पिल्लों के बड़े होने और आँखें खुल जाने पर सोना ने उन्हें भी अपने पीछे घूमनेवाली सेना में शामिल कर लिया। वह उनके साथ खेलती, उन्हें स्नेह देती और उनकी देखभाल करती थी, जिससे पिल्ले भी उससे जुड़ गए।
ङ) उसी वर्ष गरमियों में मेरी बद्रीनाथ यात्रा का कार्यक्रम बना।
1) लेखक बद्रीनाथ यात्रा पर क्यों गईं और उनकी क्या चिंता थी?
उत्तर: लेखक बद्रीनाथ यात्रा पर गईं क्योंकि उन्होंने पैदल आने-जाने का निश्चय किया था, जिससे ग्रीष्मावकाश समाप्त हो गया। उन्हें अपने पालतू जीवों की चिंता थी, क्योंकि उनकी अनुपस्थिति में उनकी देखभाल कैसे होगी, यह उन्हें परेशान कर रहा था।
2) वापस लौटने पर लेखक का स्वागत कैसे हुआ?
उत्तर: लौटने पर गोधूलि ने कूदकर उनके कंधे पर बैठकर उनका स्वागत किया। हेमंत-वसंत उनके चारों ओर परिक्रमा करके हर्ष की ध्वनियों से स्वागत करने लगे। पालतू जीवों का ऐसा प्रेम देखकर लेखक प्रसन्न हुईं।
3) सोना की अनुपस्थिति पर लेखक को क्या महसूस हुआ?
उत्तर: सोना को न देखकर लेखक चिंतित हो गईं। उन्होंने उसे चारों ओर खोजा, पर वह कहीं नहीं मिली। उनका हृदय व्याकुल हो उठा और उन्हें आशंका होने लगी कि कहीं कोई अनहोनी तो नहीं हो गई।
4) सोना के साथ क्या दुर्घटना घटी थी?
उत्तर: माली ने बताया कि सोना उनकी अनुपस्थिति में अस्थिर हो गई थी और कंपाउंड से बाहर निकलने लगी थी। उसे सुरक्षित रखने के लिए माली ने उसे लंबी रस्सी से बाँधा था। एक दिन वह रस्सी की सीमा भूलकर ऊँचाई तक उछली और रस्सी के कारण मुँह के बल गिर गई। यही उसकी अंतिम साँस थी।
च) वही उसकी अंतिम साँस और अंतिम उछाल थी।
1) लेखक को सोना की मृत्यु का समाचार कैसे मिला?
उत्तर: माली की आँखों में आँसू देखकर और कर्मचारियों के चेहरे के भाव से लेखक को सोना की मृत्यु का आभास हुआ। माली ने दुःखी मन से उन्हें सोना की दुर्घटना के बारे में बताया।
2) सोना की मृत्यु का कारण क्या था?
उत्तर: सोना रस्सी से बँधे होने के बावजूद उछलकर ऊँचाई तक चली गई। रस्सी के खिंचाव के कारण वह मुँह के बल धरती पर आ गिरी और वहीं उसकी मृत्यु हो गई। बंधन ने उसकी स्वाभाविक स्वतंत्रता छीन ली थी।
3) लेखक ने सोना के प्रति क्या भावना व्यक्त की?
उत्तर: लेखक सोना की मृत्यु से अत्यंत व्यथित हुईं। उन्होंने महसूस किया कि मनुष्य की निष्ठुरता ने एक मासूम प्राणी की जीवन लीला समाप्त कर दी। सोना की यादें उनके हृदय में सदा जीवित रहीं।
4) सोना की कहानी हमें क्या सिखाती है?
उत्तर: सोना की कहानी हमें स्नेह, मित्रता और मानवीयता का महत्व सिखाती है। यह कहानी दर्शाती है कि जानवरों के प्रति हमारा व्यवहार कितना महत्वपूर्ण है और उनकी स्वतंत्रता और खुशियों का सम्मान करना चाहिए।