क) हवा हूँ, हवा मैं, बसंती हवा हूँ।
1) कवि ने बसंती हवा को किस रूप में प्रस्तुत किया है?
उत्तर: कवि ने बसंती हवा को एक मस्तमौला और निडर मुसाफ़िर के रूप में प्रस्तुत किया है। वह कहीं भी घूमती है और किसी चीज़ की फ़िक्र नहीं करती।
2) बसंती हवा की क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर: बसंती हवा बड़ी बावली, मस्तमौला और निडर है। उसका न कोई घर-बार है, न कोई उद्देश्य या आशा। वह स्वतंत्रता से जिधर चाहती है, उधर घूमती है।
3) बसंती हवा अपने बारे में क्या कहती है?
उत्तर: बसंती हवा कहती है कि वह अनोखी और निडर है। उसे किसी की फ़िक्र नहीं है। वह जहाँ चाहती है, वहाँ घूमती है।
4) क्यों बसंती हवा को मुसाफ़िर कहा गया है?
उत्तर: बसंती हवा को मुसाफ़िर इसलिए कहा गया है क्योंकि वह बिना किसी उद्देश्य के निरंतर घूमती रहती है। उसका न कोई ठिकाना है और न ही वह कहीं स्थायी रूप से रहती है।
ख) जहाँ से चली मैं, जहाँ को गई मैं।
1) बसंती हवा कहाँ-कहाँ घूमती है?
उत्तर: बसंती हवा शहर, गाँव, बस्ती, नदी, रेत, निर्जन स्थानों, हरे खेत और पोखरों तक घूमती है। वह हर जगह को झुलाती और झुमाती हुई चलती है।
2) बसंती हवा का स्वभाव कैसा है?
उत्तर: बसंती हवा का स्वभाव चंचल और उत्साहपूर्ण है। वह मस्तमौला तरीके से घूमती है और अपने आसपास की हर चीज़ को प्रभावित करती है।
3) बसंती हवा ने पेड़ों के साथ क्या किया?
उत्तर: बसंती हवा महुए के पेड़ पर चढ़कर थपथप मचाती है और फिर धम्म से गिर जाती है। वह आम के पेड़ पर चढ़कर उसे भी झकोरा देती है और उसके कान में ‘कू’ करके भाग जाती है।
4) बसंती हवा का खेतों में क्या प्रभाव होता है?
उत्तर: बसंती हवा हरे-भरे गेहूँ के खेतों में लहर मारती है और पहर दो पहर तक उन्हें झुमाती रहती है। उसकी वजह से खेतों में एक लहराता हुआ दृश्य उत्पन्न होता है।
ग) खड़ी देख अलसी, मुझे खूब सूझी।
1) बसंती हवा ने अलसी के साथ क्या किया?
उत्तर: बसंती हवा ने अलसी के पौधों को हिलाया-झुलाया, लेकिन वे नहीं गिरे। यह देखकर उसे हार माननी पड़ी, लेकिन उसने सरसों के पौधों को भी हिलाया।
2) बसंती हवा ने अरहर के पौधों के साथ कैसा व्यवहार किया?
उत्तर: बसंती हवा को देखते ही अरहर के पौधे लजा गए। बसंती हवा ने उन्हें मनाने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं माने। फिर भी उसने उन्हें नहीं छोड़ा और अपने चंचल स्वभाव से प्रभावित किया।
3) बसंती हवा ने पथिक के साथ क्या किया?
उत्तर: बसंती हवा ने रास्ते से गुजर रहे पथिक को धक्का दे दिया। फिर वह ज़ोर से हँसी, जिससे सारी दिशाएँ, हरे खेत और चमचमाती धूप हँसने लगी।
4) कवि ने बसंती हवा के माध्यम से क्या संदेश दिया है?
उत्तर: कवि ने बसंती हवा के माध्यम से प्रकृति की चंचलता और सौंदर्य का वर्णन किया है। उन्होंने दिखाया है कि बसंती हवा कैसे अपने मस्तमौला स्वभाव से सबको प्रभावित करती है और सृष्टि में खुशी भर देती है।
घ) हवा हूँ, हवा मैं, बसंती हवा हूँ।
1) बसंती हवा की हँसी का क्या प्रभाव हुआ?
उत्तर: बसंती हवा की हँसी से सारी दिशाएँ गूंज उठीं। हरे-भरे खेत लहलहा उठे, और चमचमाती धूप में सारा संसार हँसने लगा। उसकी मस्ती से सृष्टि में आनंद छा गया।
2) क्यों बसंती हवा को सृष्टि की हँसी कहा गया है?
उत्तर: क्योंकि बसंती हवा अपनी चंचलता और मस्ती से पूरे वातावरण को आनंदित कर देती है। उसकी उपस्थिति से प्रकृति में खुशी और उत्साह का माहौल बन जाता है।
3) कवि ने बसंती हवा को किस तरह से महत्त्व दिया है?
उत्तर: कवि ने बसंती हवा को प्रकृति की जीवंत शक्ति के रूप में महत्त्व दिया है। उन्होंने उसके माध्यम से परिवर्तन, स्वतंत्रता और आनंद का चित्रण किया है।
4) बसंती हवा का सृष्टि में क्या योगदान है?
उत्तर: बसंती हवा सृष्टि में जीवन का संचार करती है। वह पेड़ों, पौधों, खेतों और जीवों को अपनी मस्ती से प्रभावित करती है, जिससे प्रकृति में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार होता है।