यह कदंब का पेड़

क) यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे…

1) कवि कदंब के पेड़ को यमुना तट पर क्यों देखना चाहता है?
उत्तर: कवि को लगता है कि यदि कदंब का पेड़ यमुना किनारे होता तो वह उसी पर बैठकर कन्हैया की तरह बाँसुरी बजा सकता और अपनी माँ को पुकार सकता।

2) कवि कन्हैया बनने की बात क्यों करता है?
उत्तर: कन्हैया (कृष्ण) बालरूप में बाँसुरी बजाने और यमुना तट पर खेलने के लिए प्रसिद्ध हैं। कवि भी उसी आनंद को जीना चाहता है।

3) कवि को बाँसुरी बजाने से कौन-सा सुख मिलता है?
उत्तर: बाँसुरी बजाने से कवि को ऐसा लगता है जैसे वह पूरी तरह से कृष्ण बन गया है। यह बाल-मन की कल्पना है, जहाँ उसकी बाँसुरी सुनकर माँ भी खुश होती और कवि को पुकारने लगती।

4) धीरे-धीरे कन्हैया बनाने से कवि का क्या आशय है?
उत्तर: कवि यह कहना चाहता है कि वह बचपन के हर क्षण को जीते हुए, खेल-खेल में, बांसुरी बजाते-बजाते वह कृष्ण जैसा बन जाना चाहता है।

ख) तुम हो चकित देखती चारों ओर न मुझको पाती…

1) माँ का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए कवि क्या उपाय सोचता है?
उत्तर: कवि कदंब के पेड़ की नीची डाली पर चढ़कर बाँसुरी बजाने की कल्पना करता है। बाँसुरी की आवाज सुनकर जब माँ उसे ढूँढ़ने आती है, तो वह चुप हो जाता है और पत्तों में छिपकर माँ की प्रतिक्रिया देखता है।

2) माँ जब कवि को ढूँढ़ नहीं पाती, तो उसके मन में कौन-सी भावनाएँ आती हैं?
उत्तर: माँ पहले तो परेशान होकर इधर-उधर देखती है, फिर उसे चिंता होने लगती है कि कहीं बच्चा चोटिल या गुम न हो गया हो। इसी व्याकुलता में वह पेड़ के नीचे आकर कवि को पुकारती है।

3) माँ के मनोभाव को देखकर कवि क्या सीखता है?
उत्तर: माँ के मनोभावों से कवि समझता है कि माँ के लिए संतान से बड़ी कोई चीज़ नहीं है। उसकी चिंता और प्रेम अंततः बच्चे को सुरक्षित पाना चाहता है।

4) ‘चुपके-चुपके छिप जाना’ कवि के बचपन की कौन-सी विशेषता को दिखाता है?
उत्तर: यह बालपन की शरारत और मासूमियत को दर्शाता है। बच्चे अक्सर खेल-खेल में छिपकर बड़ों का ध्यान अपनी ओर खींचने की कोशिश करते हैं, जिससे उन्हें एक अलग तरह की खुशी मिलती है।

ग) तुम आँचल फैला कर अम्मां वहीं पेड़ के नीचे…

1) माँ आँचल फैला कर क्या प्रार्थना करती है?
उत्तर: माँ अपनी आँखें बंद कर ईश्वर से प्रार्थना करती है कि उसका बच्चा सुरक्षित मिले। वह अपने बेटे को एक बार फिर गोदी में देखना चाहती है, इसलिए आँचल फैला कर विनती करती है।

2) कवि इस प्रार्थना को देखकर क्या निर्णय लेता है?
उत्तर: माँ को इस तरह भावुक और चिंतित देखकर कवि का हृदय पिघल जाता है। वह सोचता है कि अब अधिक देर तक छिपकर माँ को परेशान न करे और चुपके से उसके पास लौट आए।

3) कवि माँ के आँचल के नीचे क्यों छिप जाता है?
उत्तर: माँ कवि को ढूँढ रही थी और आँख बंद कर कवि के लिए प्रार्थना कर रही थी। ऐसे में माँ के आँचल में छिपकर कवि उन्हें बताना चाहता था कि उनका बेटा आ गया है।

4) माँ की व्याकुलता कैसे दूर होती है?
उत्तर: माँ आँखें खोलते ही अपने बच्चे को सुरक्षित अपने आँचल में पाकर प्रसन्न हो जाती है। उसकी सारी चिंताएँ मिट जाती हैं, क्योंकि जिस बच्चे को वह ढूँढ़ रही थी, वह अब उसकी गोद में लौट आया है।

घ) यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे…

1) कविता का मूल संदेश क्या है?
उत्तर: कविता बाल-मन की कल्पना और माँ-बेटे के बीच के गहरे प्रेम को रेखांकित करती है। बालक अपनी माँ के साथ ऐसे ही खेलना चाहता है जैसे भगवान कृष्ण माँ यशोदा के साथ खेलते थे।

2) कविता में यमुना तट का बार-बार ज़िक्र क्यों आता है?
उत्तर: यमुना तट कान्हा (कृष्ण) के बाल-लीला से जुड़ा एक पवित्र स्थान माना जाता है। कवि यमुना तात पर अपनी माँ के साथ ऐसे ही खेलना चाहता है जैसे भगवान कृष्ण माँ यशोदा के साथ खेलते थे। इसलिए यमुना तट का उल्लेख बार-बार होता है।

3) कवि और कविता का नाम बताइये।
कविता का नाम है कदंब का पेड़ और कवि का नाम है सुभद्रा कुमारी चौहान।

4) कवि ने माँ के चरित्र को किस रूप में प्रस्तुत किया है?
उत्तर: कवि ने माँ को ऐसे व्यक्ति के रूप में दिखाया है जो अपने बच्चे के लिए हर काम छोड़कर दौड़ी चली आती है, उसकी रक्षा के लिए बेचैन हो उठती है, और उसकी शरारतें भी प्रेम से स्वीकार करती है। माँ का हृदय दया, स्नेह और प्रेम से भरा हुआ है।

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