(क) मेरे रथ को दोनों सेनाओं के बीच में ले चलिए।
1) अर्जुन ने रथ को दोनों सेनाओं के बीच ले चलने का निवेदन क्यों किया?
उत्तर: अर्जुन अपनी आँखों से देखना चाहता था कि उसे युद्ध में किन-किन वीरों और संबंधियों का सामना करना होगा। इसलिए उसने रथ को दोनों सेनाओं के बीच में ले चलने को कहा।
2) सेनाओं के मध्य पहुँचकर अर्जुन क्यों विचलित हो गया?
उत्तर: अर्जुन ने युद्ध के मैदान अपने गुरुजनों, बुज़ुर्गों और संबंधियों को देखा। उन्हें देखकर वह भावुक होकर धर्मसंकट में पड़ गया।
3) अर्जुन ने किन प्रमुख लोगों को देखकर सबसे अधिक चिंता जताई?
उत्तर: अर्जुन ने पितामह भीष्म, गुरु द्रोण और मामा शल्य को सामने खड़ा पाया। उनका सामना करने का विचार उसे अत्यंत कष्टदायी लगा।
4) अर्जुन को यह युद्ध अनुचित क्यों लगने लगा?
उत्तर: अर्जुन को लगा कि इस युद्ध के लिए उसे अपने ही पूज्य गुरुजनों और आत्मीयजनों का वध करना होगा, जो उसे नैतिक रूप से उचित नहीं लगा।
(ख) दुर्योधन और उसके साथियों ने युद्ध के लिए तुम्हें विवश किया है।
1) श्रीकृष्ण ने अर्जुन को किस बात के लिए सचेत किया?
उत्तर: श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सचेत किया कि यह युद्ध उसकी इच्छा से नहीं, बल्कि दुर्योधन और उसके साथियों के अन्याय के कारण अनिवार्य हुआ है।
2) अर्जुन ने युद्ध से पीछे हटने का निर्णय क्यों लिया?
उत्तर: अर्जुन ने अपने स्वजनों पर शस्त्र उठाने को अधर्म समझा और सोचा कि इस तरह की विजय से बेहतर है कि वह धनुष-बाण ही त्याग दे।
3) अर्जुन के न लड़ने से किन लोगों को बढ़ावा मिलता?
उत्तर: अर्जुन के युद्ध न लड़ने से पापी और अन्यायी लोगों को बढ़ावा मिलता है और अधर्म का विस्तार होता।
4) अर्जुन का मोह देख कर श्रीकृष्ण ने क्या कहा?
उत्तर: श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कायरता छोड़ने का उपदेश दिया। उन्होंने कहा कि धर्म के लिए लड़ना क्षत्रिय का धर्म है, इसलिए उसे अपनी हृदय-व्यथा त्यागनी होगी।
(ग) जो अधर्म पर चलते हैं उनका नाश करना ही वीरों का धर्म है।
1) अर्जुन हार-जीत के बारे में क्यों चिंतित था?
उत्तर: अर्जुन को लगा कि यदि वह हार गया तो उसका प्रयास व्यर्थ हो जाएगा, और यदि जीता तो उसे अपने स्वजनों का वध करना पड़ेगा।
2) हार-जीत के संदर्भ में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को क्या समझाया?
उत्तर: श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि वीर पुरुष हार-जीत की चिंता नहीं करते, बल्कि वे धर्म-पालन को अपना प्रथम कर्तव्य मानते हैं।
3) श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दुर्योधन और उसके साथियों की किन बातों को याद दिलाया?
उत्तर: श्रीकृष्ण ने उसे छल, लाक्षागृह की घटना, द्रौपदी का अपमान और शांति-संदेश को ठुकराने जैसी बातें याद दिलाकर समझाया कि अधर्मी को रोकना जरूरी है।
4) “आत्मा अमर है” – इस वाक्य से श्रीकृष्ण का क्या आशय था?
उत्तर: श्रीकृष्ण ने समझाया कि शरीर नश्वर है, पर आत्मा कभी नष्ट नहीं होती। जैसे पुराने वस्त्र त्यागकर नए वस्त्र धारण किए जाते हैं, वैसे ही आत्मा एक शरीर छोड़कर दूसरा धारण करती है।
(घ) वह किसी फल की इच्छा नहीं करता।
1) अर्जुन ने संन्यास लेने की बात क्यों सोची?
उत्तर: रक्तपात और अपनों को मारने के विचार से डरकर अर्जुन को लगा कि संन्यास लेकर शांतिपूर्ण जीवन बिताना युद्ध से बेहतर होगा।
2) श्रीकृष्ण ने संन्यास के विषय में अर्जुन को क्या समझाया?
उत्तर: श्रीकृष्ण ने बताया कि सच्चा संन्यासी वही है जो निःस्वार्थ भाव से अपना कर्तव्य निभाता है। फल की इच्छा त्यागकर कर्म करने वाला ही ईश्वर को प्राप्त करता है।
3) किस घटना से अर्जुन का मोह-भंग हुआ?
उत्तर: श्रीकृष्ण के तर्क और धर्म-प्रधान उपदेश से अर्जुन समझ गया कि अधर्म को रोकना उसका कर्तव्य है। इसी से उसका मोह-भंग हुआ।
4) अंत में अर्जुन ने क्या निश्चय किया?
उत्तर: अर्जुन ने गांडीव उठा लिया और श्रीकृष्ण की आज्ञा का पालन करने के लिए तैयार हो गया। उसने धर्मयुद्ध करने का निश्चय कर लिया।