मेरी समझ से
प्रश्न (1) महाराज ने दीवान को ही उनका उत्तराधिकारी चुनने का कार्य उनके किस गुण के कारण सौंपा?
- सादगी
- बल
- उदारता
- नीतिकुशलता
उत्तर:महाराज ने दीवान को ही उनका उत्तराधिकारी चुनने का कार्य उनके नीतिकुशलता (काम में होशियार) गुण के कारण सौंपा ।
प्रश्न (2) दीवान साहब द्वारा नौकरी छोड़ने के निश्चय का क्या कारण था?
- परमात्मा की याद
- बदनामी का भय
- राज-काज सँभालने योग्य शक्ति न रहना
- चालीस वर्ष की नौकरी पूरा हो जाना
उत्तर:दीवान साहब द्वारा नौकरी छोड़ने के निश्चय का कारण था राज-काज सँभालने योग्य शक्ति न रहना और बदनामी का भय । उन्होंने महाराज से कहा कि वे बूढ़े हो गए हैं और उनमें राज-काज सँभालने की शक्ति नहीं रही , और उन्हें डर था कि कहीं भूल-चूक हो जाने पर बुढ़ापे में दाग न लग जाए ।
शीर्षक
प्रश्न (क) आपने जो कहानी पढ़ी है, इसका नाम प्रेमचंद ने ‘परीक्षा’ रखा है। अपने समूह में चर्चा करके लिखिए कि उन्होंने इस कहानी का यह नाम क्यों दिया होगा? अपने उत्तर के कारण भी लिखिए।
उत्तर:प्रेमचंद जी ने इस कहानी का नाम ‘परीक्षा’ इसलिए रखा, क्योंकि इसमें नए दीवान को चुनने के लिए एक परीक्षा ली गई थी । यह परीक्षा केवल पढ़ाई-लिखाई की नहीं थी, बल्कि दया, हिम्मत और अच्छे व्यवहार की थी । सरदार सुजानसिंह ने खुद किसान बनकर सभी उम्मीदवारों की परीक्षा ली कि कौन मुसीबत में पड़े गरीब की मदद करता है।
प्रश्न (ख) यदि आपको इस कहानी को कोई अन्य नाम देना हो तो क्या नाम देंगे? आपने यह नाम क्यों सोचा, यह भी बताइए?
उत्तर: अगर मुझे इस कहानी को कोई और नाम देना होता, तो मैं इसे “सच्चा दीवान” या “किसान की गाड़ी” नाम देता। मैंने यह नाम इसलिए सोचा क्योंकि पूरी कहानी एक सच्चे और दयालु दीवान को खोजने के बारे में है, और किसान की गाड़ी वाली घटना ही वह असली परीक्षा थी, जिससे सच्चा दीवान चुना गया ।
पंक्तियों पर चर्चा
प्रश्न: “इस पद के लिए ऐसे पुरुष की आवश्यकता थी, जिसके हृदय में दया हो और साथ-साथ आत्मबल। हृदय वह जो उदार हो, आत्मबल वह जो आपत्ति का वीरता के साथ सामना करे। ऐसे गुणवाले संसार में कम हैं और जो हैं, वे कीर्ति और मान के शिखर पर बैठे हुए हैं।”
उत्तर:इन लाइनों का मतलब है कि दीवान के पद के लिए एक ऐसा आदमी चाहिए था, जिसके दिल में दया हो और जो बहुत हिम्मती हो । ऐसा आदमी जो मुसीबत आने पर बहादुरी से उसका सामना करे । सरदार सुजानसिंह कहते हैं कि ऐसे अच्छे और गुणी लोग दुनिया में बहुत कम मिलते हैं ।
सोच-विचार के लिए
प्रश्न (क) नौकरी की चाह में आए लोगों ने नौकरी पाने के लिए कौन-कौन से प्रयत्न किए?
उत्तर:नौकरी पाने के लिए आए लोगों ने अच्छा दिखने का दिखावा करना शुरू कर दिया ।
- जो लोग दिन में नौ बजे तक सोते थे, वे सुबह जल्दी उठकर बाग में टहलने लगे ।
- जो अपने नौकरों से बुरी तरह बात करते थे, वे ‘आप’ और ‘जनाब’ कहकर मीठा बोलने लगे ।
- जिन लोगों को किताबों से नफरत थी, वे भी बड़ी-बड़ी किताबें पढ़ने का नाटक करने लगे ।
प्रश्न (ख) “उसे किसान की सूरत देखते ही सब बातें ज्ञात हो गई।” खिलाड़ी को कौन-कौन सी बातें पता चल गई?
उत्तर:खिलाड़ी (पंडित जानकीनाथ) को किसान की सूरत देखते ही यह पता चल गया कि:
- किसान की अनाज से भरी गाड़ी नाले के कीचड़ में फँस गई है ।
- किसान बहुत देर से फँसा हुआ है ।
- उसके बैल कमज़ोर हैं और गाड़ी का बोझ ज़्यादा है ।
- वह बहुत कोशिश कर रहा है, पर गाड़ी निकल नहीं पा रही है ।
प्रश्न (ग) “मगर उन आँखों में सत्कार था, इन आँखों में ईर्ष्या।” किनकी आँखों में सत्कार था और किनकी आँखों में ईर्ष्या थी? क्यों?
उत्तर:
- रियासत के कर्मचारियों और रईसों की आँखों में सत्कार (इज़्ज़त) था ।
- दूसरे उम्मीदवार (जो दीवान नहीं बन पाए) लोगों की आँखों में ईर्ष्या (जलन) थी ।
ऐसा इसलिए था क्योंकि रईस और कर्मचारी खुश थे कि रियासत को जानकीनाथ जैसा एक अच्छा और दयालु दीवान मिल गया , लेकिन दूसरे उम्मीदवार खुद दीवान बनना चाहते थे, इसलिए वे जानकीनाथ से जल रहे थे ।
खोजबीन
प्रश्न (क) कहानी में से वे वाक्य खोजकर लिखिए जिनसे पता चलता है कि- शायद युवक बूढ़े किसान की असलियत पहचान गया था।
उत्तर:“युवक ने किसान की तरफ़ गौर से देखा। उसके मन में एक संदेह हुआ, क्या यह सुजानसिंह तो नहीं हैं? आवाज़ मिलती है, चेहरा-मोहरा भी वही।”
प्रश्न (ख) कहानी में से वे वाक्य खोजकर लिखिए जिनसे पता चलता है कि- नौकरी के लिए आए लोग किसी तरह बस नौकरी पा लेना चाहते थे।
उत्तर:“लोग समझते थे कि एक महीने का झंझट है, किसी तरह काट लें, कहीं कार्य सिद्ध हो गया तो कौन पूछता है?”
समस्या और समाधान
प्रश्न (क) महाराज के सामने क्या समस्या थी? उन्होंने इसका क्या समाधान खोजा?
उत्तर:
- समस्या: महाराज के सामने यह समस्या थी कि उनके दीवान सरदार सुजानसिंह बूढ़े हो गए थे और नौकरी छोड़कर आराम करना चाहते थे । इसलिए महाराज को रियासत के लिए एक नया दीवान चाहिए था ।
- समाधान: महाराज ने इसका यह समाधान खोजा कि उन्होंने सरदार सुजानसिंह को ही यह ज़िम्मेदारी दी कि वे खुद रियासत के लिए एक नया दीवान खोजें ।
प्रश्न (ख) दीवान के सामने क्या समस्या थी? उन्होंने इसका क्या समाधान खोजा?
उत्तर:
- समस्या: दीवान साहब के सामने यह समस्या थी कि वे रियासत के लिए एक ऐसा दीवान कैसे खोजें जिसके दिल में दया और हिम्मत हो ।
- समाधान: उन्होंने इसका यह समाधान खोजा कि पहले अखबार में विज्ञापन देकर सैकड़ों उम्मीदवारों को बुलाया, फिर एक महीने तक उनके रहन-सहन को परखा । आखिर में, उन्होंने खुद एक गरीब किसान बनकर मुसीबत में फँसने का नाटक किया, ताकि वे देख सकें कि कौन मदद के लिए आगे आता है।
प्रश्न (ग) नौकरी के लिए आए लोगों के सामने क्या समस्या थी? उन्होंने इसका क्या समाधान खोजा?
उत्तर:
- समस्या: नौकरी के लिए आए लोगों के सामने यह समस्या थी कि वे दीवान की इस परीक्षा को कैसे पास करें और पद को कैसे हासिल करें।
- समाधान: उन्होंने इसका यह समाधान खोजा कि वे एक महीने तक अच्छा होने का दिखावा करने लगे । वे ऐसे काम करने लगे जिससे सरदार सुजानसिंह को लगे कि वे बहुत नम्र और गुणी हैं ।
मन के भाव
प्रश्न: “स्वार्थ था, मद था, मगर उदारता और वात्सल्य का नाम भी न था।” … ये सभी शब्द मन के भावों के नाम हैं। आप कहानी में से ऐसे ही अन्य नामों को खोजकर नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में लिखिए।
उत्तर: कहानी में आए मन के कुछ और भावों के नाम:
- शक्ति
- भूल-चूक
- नेकनामी (अच्छाई)
- आदर
- कष्ट
- घृणा (नफरत)
- नम्रता
- सहानुभूति
- दया
- साहस
- हिम्मत
- संदेह (शक)
- आशा
- निराशा
- ईर्ष्या (जलन)
विपरीतार्थक शब्द
प्रश्न: ‘कम’ का विपरीत अर्थ देने वाला शब्द है ‘अधिक’। इसी प्रकार के कुछ विपरीतार्थक शब्द नीचे दिए गए हैं लेकिन वे आमने-सामने नहीं हैं। रेखाएँ खींचकर विपरीतार्थक शब्दों के सही जोड़े बनाइए-
उत्तर: (शब्दों के सही जोड़े नीचे दिए गए हैं)
- आना – जाना
- गुण – अवगुण
- आदर – अनादर
- दयालु – निर्दयी
- योग्य – अयोग्य
- हार – जीत
- आशा – निराशा
कहावत
प्रश्न: नीचे कुछ कहावतें और उनके भावार्थ दिए गए हैं। आप इन कहावतों को कहानी से जोड़कर अपनी लेखन-पुस्तिका में लिखिए-
- अधजल गगरी छलकत जाए…
- एक अनार सौ बीमार…
- जहाँ चाह, वहाँ राह…
उत्तर:
- एक अनार सौ बीमार: यह कहावत दीवान के पद पर सही बैठती है। दीवान का पद सिर्फ एक था, लेकिन उसे पाने के लिए सैकड़ों लोग उम्मीदवार बनकर आ गए ।
- अधजल गगरी छलकत जाए: यह कहावत उन उम्मीदवारों पर सही बैठती है जो हॉकी खेलकर या किताबें पढ़कर खुद को काबिल दिखाने का दिखावा कर रहे थे, लेकिन जब मदद करने का समय आया तो वे पीछे हट गए ।
- जहाँ चाह, वहाँ राह: यह कहावत पंडित जानकीनाथ पर सही बैठती है। उनके मन में किसान की मदद करने की सच्ची इच्छा (चाह) थी , इसलिए उन्होंने कीचड़ में धँसकर भी गाड़ी को बाहर निकालने का रास्ता (राह) बना ही लिया ।
पाठ से आगे
अनुमान या कल्पना से
प्रश्न (क) “दूसरे दिन देश के प्रसिद्ध पत्रों में यह विज्ञापन निकला” देश के प्रसिद्ध पत्रों में नौकरी का विज्ञापन किसने निकलवाया होगा? आपको ऐसा क्यों लगता है?
उत्तर: यह विज्ञापन सरदार सुजानसिंह ने ही निकलवाया होगा। ऐसा इसलिए लगता है, क्योंकि महाराज ने उन्हें ही नया दीवान चुनने की ज़िम्मेदारी दी थी ।
प्रश्न (ख) “इस विज्ञापन ने सारे मुल्क में तहलका मचा दिया।” विज्ञापन ने पूरे देश में तहलका क्यों मचा दिया होगा?
उत्तर:विज्ञापन ने पूरे देश में तहलका इसलिए मचा दिया होगा, क्योंकि दीवान का पद बहुत ऊँचा और बड़ा था , लेकिन उसे पाने के लिए किसी डिग्री या पढ़ाई (ग्रेजुएट) की शर्त नहीं थी ।
अच्छाई और दिखावा
प्रश्न (क) हर व्यक्ति अपनी बुद्धि के अनुसार स्वयं को अच्छा दिखाने की कोशिश करता है। स्वयं को अच्छा दिखाने के लिए लोग क्या-क्या करते हैं?
उत्तर: खुद को अच्छा दिखाने के लिए लोग कई काम करते हैं, जैसे:
- साफ़-सुथरे और अच्छे कपड़े पहनना।
- सबके साथ बहुत मीठा और प्यार से बात करना ।
- दिखावा करना कि वे बहुत मेहनती हैं, जैसे सुबह जल्दी उठना ।
- दिखावा करना कि वे बहुत होशियार हैं, जैसे किताबें पढ़ना ।
प्रश्न (ख) क्या ‘स्वयं को अच्छा दिखाने’ में और ‘स्वयं के अच्छा होने’ में कोई अंतर है? कैसे?
उत्तर: हाँ, ‘अच्छा दिखाने’ और ‘अच्छा होने’ में बहुत अंतर है।
- अच्छा दिखाना: इसका मतलब है कि हम मन से अच्छे नहीं हैं, बस ऊपर-ऊपर से अच्छा होने का नाटक (दिखावा) कर रहे हैं । यह हम नौकरी पाने या अपना मतलब निकालने के लिए करते हैं, जैसे बाकी उम्मीदवार कर रहे थे ।
- अच्छा होना: इसका मतलब है कि हमारे दिल में सच में दया , हिम्मत और उदारता है। हम दिखावे के लिए नहीं, बल्कि सच में दूसरों की मदद करते हैं, जैसे पंडित जानकीनाथ ने किसान की मदद की ।