पेड़ की आत्मकथा
मैं एक पेड़ हूँ, जो बरसों से धरती की छाया बना हुआ हूँ। मेरा तना मज़बूत है और मेरी जड़ें धरती के भीतर गहराई तक फैली हुई हैं। दिन-रात मैं मौसमों की मार सहता हूँ, कभी तेज़ धूप मुझे जलाती है, तो कभी मूसलाधार बारिश मुझे भिगो देती है। फिर भी मुझे कोई शिकायत नहीं, … Read more