कृत्रिम बुद्धिमत्ता दुनिया में बढ़ती बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण है। इस कथन के पक्ष या विपक्ष में अपने विचार उचित तर्कों व उदाहरणों द्वारा स्पष्ट करते हुए लिखिए।

आधुनिक (modern) युग में मनुष्य ने कई अद्वितीय (unique) तकनीकी आविष्कार किये हैं जो किसी चमत्कार से कम नहीं लगते। इन आविष्कारों में फिलहाल कृत्रिम बुद्धिमत्ता (artificial intelligence – AI) का नाम सबसे ऊपर आता है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) ने हमारे जीवन को काफी आसान कर दिया है। व्यापार, उद्योग), शिक्षा, चिकित्सा, मनोरंजन, यातायात (transportation) आदि के क्षेत्रों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता ने क्रान्ति ला दी है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता की सहायता से डाटा का विश्लेषण करना और उससे निष्कर्ष निकालना बहुत आसान हो गया है। इस एक चीज ने मानव सभ्यता (civilization) के विकास की गति को कई गुना तेज कर दी है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता की संक्षेप में उपयोगिता बताने के बाद अब मैं उसके नुकसानदायक पक्ष को सामने रखूँगा। जैसे हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, वैसे ही मानव समाज पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता के प्रभाव के भी दो पहलू हैं – सकारात्मक भी और नकारात्मक भी। मैं व्यक्तिगत रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता को मानव समाज के लिये फायदे से ज्यादा नुकसानदायक ही मानता हूँ। कृत्रिम बुद्धिमत्ता के कारण मनुष्यों पर जो सबसे बड़ा संकट आने वाला है, वो है बेरोजगारी का। कृत्रिम बुद्धिमत्ता इतना ज्यादा शक्तिशाली है कि सैकड़ों लोगों का काम वो अकेले ही कर सकता है। आपको और हम लोगों को पता भी नहीं चला और लाखों लोगों की नौकरी जा चुकी है। हम और आप जब तकनीकी सहायता के लिए कंपनियों को फ़ोन करते थे तो कई मनुष्य उत्तर देता था। अब उसकी जगह कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर आधारित चैटबॉट ने ले ली है। कॉल सेंटर्स में जहाँ दस लोगों की जरुरत पड़ती थी अब वहाँ एक व्यक्ति काफी है क्योंकि बाकी काम कृत्रिम बुद्धिमत्ता कर लेता है।

कंप्यूटर की दुनिया में,
चमकता है AI का सितारा।
मगर इसकी चमक के पीछे,
छिपा है बेरोजगारी का अंधियारा।

कंप्यूटर जब आया था तब भी ऐसा हुआ था। फैक्टरियों और मीलों में काम करनेवाले लाखों लोगों की नौकरियाँ गयी थी। उस समय ऐसे लोगों की नौकरियाँ गयी थी जो तकनीकी रूप से ज्यादा जानकार नहीं थे। कृत्रिम बुद्धिमत्ता की वजह से तो उन लोगों की भी नौकरियाँ चली जाएंगी जो तकनीकी रूप से काफी सक्षम है। कंप्यूटर के कारण आयी बेरोजगारी का तो फिर भी भारत में पता नहीं चला क्योंकि हमें अमेरिका और यूरोप की कंपनियों से बहुत काम मिलने लगा। वहाँ के लोगों की कंप्यूटर संबंधी नौकरियाँ भारतीयों को मिलने लगी। हमारा फायदा हुआ पर उन देशों में बेरोजगारी आ गयी। कृत्रिम बुद्धिमत्ता तो ऐसी बेरोजगारी लाएगा कि उसकी भरपाई ही नहीं हो सकेगी।

पिछले कुछ महीनों में हम यदि कई बड़ी कंपनियों के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (Chief Executive Officer – CEO) के बयान सुने तो यही बोल रहे हैं कि उन्होंने बहुत सारी नाकरियों में मनुष्य की जगह अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता को दे दी है और इससे उन्हें लाभ भी बहुत हो रहा है। साथ ही साथ काम भी इंसान की तुलना में बहुत बेहतर हो रहा है। यह तो अभी शुरुआत भर है। अभी तो कृत्रिम बुद्धिमत्ता एजेंट आ रहे हैं जो एक दूसरे से बात कर पच्चीसों अलग-अलग काम कर देंगे। भविष्य में ऐसा हो जाएगा जिसे स्किल्ड (skilled) जॉब बोला जाता था वो ख़त्म हो जाएगा और सिर्फ और सिर्फ मजदूरी वाले काम बचेंगे। हो सकता है कि वो काम भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता की सहायता से रोबोट करने लगेंगे। सिर्फ मुट्ठीभर बड़ी-बड़ी कंपनियों के मालिक बहुत धनी हो जाएँगे और ज्यादातर लोग गरीब और बेरोजगार।

कल तक जो काम करते थे,
आज वो मशीनों के हाथों में।
बेरोजगारी का संकट,
छा गया है हर घर के आँगन में।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता से जो भयंकर बेरोजगारी आएगी, हम उसकी सपने में भी कल्पना नहीं कर सकते। इसलिए मेरा मानना है कि मनुष्य को सावधान होकर कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विकास को नियंत्रित (controlled) कर बहुत धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहिए। जब तक हम यह सुनिश्चित न कर ले कि उससे फायदे ज्यादा और नुकसान कम है तब तक आँख बंद कर कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रयोग हर जगह नहीं करना चाहिए।

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