स्वास्थ्य ही धन है

जब भी हम जीवन में सफलता की बात करते हैं, तो अक्सर आर्थिक, सामाजिक या व्यावसायिक उपलब्धियों पर ज़ोर देते हैं। लेकिन सच पूछा जाए तो सबसे बड़ा धन हमारा स्वास्थ्य है। यदि शरीर और मन स्वस्थ न हों, तो दुनिया की कोई भी भौतिक उपलब्धि हमें वास्तविक सुख नहीं दे सकती।

स्वस्थ जीवन का मतलब केवल बीमारियों से मुक्त होना भर नहीं है। यह एक ऐसी स्थिति है, जहाँ शरीर में ऊर्जा का स्तर अच्छा रहता है और मन में शांति और प्रसन्नता बनी रहती है। आज की तेज़-रफ़्तार ज़िंदगी में हम अक्सर अपने स्वास्थ्य की अनदेखी करते हैं। काम का दबाव, अनियमित दिनचर्या और असंतुलित आहार हमें धीरे-धीरे रोगों की ओर धकेलता है।

अस्वास्थ्यकर भोजन सबसे बड़ी चुनौती है। तरह-तरह के जंक फ़ूड का सेवन और बाज़ार में उपलब्ध अस्वच्छ वस्तुओं का निरंतर उपयोग हमारे शरीर को कमज़ोर बनाता है। साथ ही, आधुनिक जीवनशैली में शारीरिक श्रम की कमी और लंबे समय तक कुर्सी पर बैठकर काम करने से मोटापा, मधुमेह, हृदय रोग जैसी समस्याएँ बढ़ रही हैं।

शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य का भी उतना ही महत्त्व है। अत्यधिक तनाव और अवसाद किसी को भी अपनी चपेट में ले सकते हैं। आज समाज में प्रतियोगिता इतनी ज़्यादा बढ़ गई है कि मानसिक दबाव एक आम बात हो गई है। इससे बचने के लिए नियमित रूप से योग, ध्यान, या कोई रचनात्मक गतिविधि अपनाना आवश्यक है, जिससे दिमाग़ को विश्राम मिल सके।

यदि हम स्वास्थ्य को अपना पहला धन मानें, तो हमें रोज़ाना एक निश्चित समय व्यायाम के लिए निकालना होगा। यह व्यायाम दौड़, तेज़-चलना, तैरना या जिम जाना हो सकता है, जो भी हमारे शरीर और परिस्थिति के अनुकूल हो। इसके साथ-साथ संतुलित आहार जैसे हरी सब्ज़ियाँ, फल, दालें और पर्याप्त पानी पीना भी ज़रूरी है। समय पर सोना-उठना और मोबाइल या कंप्यूटर स्क्रीन पर कम समय बिताना मानसिक स्फूर्ति के लिए फ़ायदेमंद रहता है।

अंततः, हम जितनी भी दौलत, शोहरत या सफलता अर्जित कर लें, यदि शरीर और मन स्वस्थ नहीं हैं, तो वह सब व्यर्थ हो जाता है। इसलिए “स्वास्थ्य ही धन है” की पुरानी कहावत हर युग में सच साबित होती आई है और आगे भी होती रहेगी। हमारा कर्तव्य है कि हम अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें और एक स्वस्थ, खुशहाल जीवन जिएँ।

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