भारत का गणतंत्र दिवस प्रतिवर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है। यह वह दिन है जब सन 1950 में देश का अपना संविधान लागू हुआ और भारत एक सम्पूर्ण गणतांत्रिक राष्ट्र बना। इस दिन के ऐतिहासिक महत्त्व को समझने के लिए हमें देश की आज़ादी की पृष्ठभूमि पर भी दृष्टि डालनी चाहिए। लंबे संघर्ष और अनेक बलिदानों के बाद 15 अगस्त 1947 को हमने आजादी तो प्राप्त कर ली, परंतु एक ठोस संविधान के बिना देश में लोकतांत्रिक ढाँचा सुदृढ़ नहीं हो सकता था।
संविधान निर्माण की प्रक्रिया में डॉ. भीमराव अम्बेडकर तथा अन्य विद्वान् नेता व विशेषज्ञों ने अथक परिश्रम किया। इस संविधान ने देश के प्रत्येक नागरिक को मौलिक अधिकार प्रदान किए और कानून के समक्ष समानता की बात कही। गणतंत्र दिवस का पर्व इसी गौरवशाली संविधान के सम्मान में मनाया जाता है। इस दिन देश भर में हर्षोल्लास का वातावरण होता है, स्कूलों-कॉलेजों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और राष्ट्रभक्ति के गीत गूँज उठते हैं।
दिल्ली के राजपथ पर राष्ट्रपति की गरिमामयी उपस्थिति में भव्य परेड निकाली जाती है, जिसमें देश की सांस्कृतिक विविधता और सैन्य शक्ति का अद्भुत प्रदर्शन होता है। विभिन्न राज्यों की झाँकियाँ अपनी कला और विरासत को प्रदर्शित करती हैं, वहीं तीनों सेनाओं के बैंड और मार्च-पास्ट लोगों के हृदय में देशभक्ति की भावना उत्पन्न करते हैं। देश के कोने-कोने से आए लोग इस समारोह का हिस्सा बनकर अपने अंदर गर्व और एकता का अनुभव करते हैं।
गणतंत्र दिवस हमें अपने लोकतंत्र की शक्ति का अहसास कराता है। यह हमें याद दिलाता है कि संविधान की रक्षा और उसके मूल्यों को बनाए रखने की जिम्मेदारी प्रत्येक नागरिक की है। हमें देश की एकता, अखंडता और प्रगति हेतु हमेशा तत्पर रहना चाहिए। इस प्रकार गणतंत्र दिवस केवल एक पर्व नहीं, बल्कि राष्ट्रप्रेम और कर्तव्यपरायणता का प्रतीक है।