मेरा गाँव प्रकृति की गोद में बसा एक शांत और सुरम्य स्थान है। यहाँ की मिट्टी में एक सौंधी महक है, जो कभी न भूलने वाली यादें छोड़ जाती है। गाँव की गलियों में सादगी और अपनापन दिखाई देता है, जहाँ हर कोई एक-दूसरे को नाम से जानता है। सुबह-सुबह पक्षियों की चहचहाहट और हल्की ठंडी हवा मन को प्रसन्न कर देती है। खेतों में लहलहाती फ़सलें और आम के पेड़ों की कतारें इस पूरे वातावरण को एक ख़ूबसूरत रंगत देती हैं।
गाँव के लोग मेहनती और ईमानदार होते हैं। किसान खेतों में दिन-रात मेहनत करके अन्न उपजाते हैं, जो शहरों तक पहुँचता है और सबका पेट भरता है। रोटी-दाल भले ही साधारण हो, पर उसमें प्रेम का स्वाद भरपूर होता है। गाँव का जीवन सरल ज़रूर है पर मुश्किलों से भी भरा हुआ है। कभी मौसम के बदलाव फ़सल बिगाड़ देते हैं, तो कभी सिंचाई के लिए पानी का अभाव बड़ी चुनौती बन जाता है। फिर भी गाँववाले संयम और आपसी सहयोग से हर मुश्किल का सामना करते हैं।
गाँव में त्योहारों का रंग निराला होता है। होली के समय ढोल-मंजीरों की धुन पर बच्चे-युवा सब मिलकर हुड़दंग मचाते हैं। दिवाली पर मिट्टी के दीये जगमगाकर अंधकार को दूर भगाते हैं। शादी-ब्याह जैसे अवसरों पर पूरा गाँव एक परिवार की तरह उमंग और उत्साह से भर जाता है। गाँव में जीवन की गति भले ही धीमी दिखती हो, लेकिन मानवीय रिश्तों की गहराई इसे ख़ास बनाती है।
आजकल आधुनिकता की बयार गाँवों में भी पहुँच रही है। सड़कों का विकास और तकनीक की सुविधा ने ग्रामीण जीवन को आसान बनाया है। परंतु इस बदलाव के साथ पारंपरिक मूल्यों को बनाए रखना ज़रूरी है। गाँव की यही खूबी है कि वह बदलते समय के साथ चलने की कोशिश करता है, फिर भी अपनी सादगी और अपनापन बनाए रखता है।