1) कर्णावती : बड़ा कठिन प्रसंग है। इस समय मेरे स्वामी नहीं हैं। नहीं तो उनके रहते मेवाड़ की ओर आँख उठाने का किसमें साहस था?
क) कर्णावती क्यों चिंतित हैं?
उत्तर: कर्णावती अपने पति महाराणा साँगा की अनुपस्थिति में मेवाड़ की सुरक्षा को लेकर अत्यंत चिंतित हैं। उन्हें लगता है कि उनके पति के रहते हुए कोई भी शत्रु मेवाड़ की ओर आँख उठाने का साहस नहीं करता था। अब उन्हें डर है कि बिना मजबूत नेतृत्व के मेवाड़ का भविष्य संकट में है।
ख) बाघसिंह ने युद्ध की स्थिति कैसी बताई?
उत्तर: बाघसिंह ने बताया कि राजपूत वीरता से लड़ रहे हैं, लेकिन उनकी संख्या कम है और शत्रु के तोपखाने से मुकाबला करना कठिन हो रहा है। उन्होंने स्वीकार किया कि तलवारों से तोपों का सामना नहीं किया जा सकता, और उन्होंने यह भी कहा कि वे हँसते-हँसते मरेंगे लेकिन दुश्मनों को मारकर मरेंगे।
ग) कर्णावती ने कौन सा उपाय सुझाया?
उत्तर: कर्णावती ने बादशाह हुमायूँ को राखी भेजने का सुझाव दिया। उनका मानना था कि राखी भाईचारे का प्रतीक है और इससे वे हुमायूँ के हृदय में भाईचारे की भावना जगाकर उनकी सहायता प्राप्त कर सकती हैं।
घ) जवाहरीबाई ने कर्णावती के सुझाव पर क्या प्रतिक्रिया दी?
उत्तर: जवाहरीबाई ने आश्चर्य और संदेह व्यक्त करते हुए पूछा कि क्या वे एक मुसलमान को भाई बनाएँगी। उन्हें विश्वास नहीं था कि हुमायूँ राखी स्वीकार करेगा और उनकी सहायता करेगा।
2) कर्णावती : हमारी राखी वह शीतल दवा है, जो सारे घाव भर देती है।
क) कर्णावती को राखी की शक्ति पर इतना विश्वास क्यों था?
उत्तर: कर्णावती को विश्वास था कि राखी के माध्यम से वह हुमायूँ के हृदय में मानवीयता और भाईचारे की भावना जगा सकती हैं। उन्हें लगता था कि राखी सभी बैर-भावों को मिटा देती है और पुरानी दुश्मनियों को भुलाने में सक्षम है।
ख) बाघसिंह ने कर्णावती के निर्णय पर क्या कहा?
उत्तर: बाघसिंह ने विनम्रता से कहा कि वे आज्ञा पालन करना जानते हैं, सम्मति देना नहीं। इसका अर्थ है कि वे महारानी के निर्णय का सम्मान करते हैं और उनके आदेश के अनुसार कार्य करेंगे, चाहे उनकी व्यक्तिगत राय कुछ भी हो।
ग) कर्णावती ने राखी और पत्र किसे सौंपा और क्यों?
उत्तर: कर्णावती ने राखी और पत्र बाघसिंह को सौंपे, ताकि वे दूत के माध्यम से उन्हें हुमायूँ तक पहुँचा सकें। उन्होंने बाघसिंह पर विश्वास किया कि वे इस महत्वपूर्ण कार्य को सफलतापूर्वक पूरा करेंगे।
घ) जवाहरीबाई ने राखी भेजने के फैसले पर क्या टिप्पणी की?
उत्तर: जवाहरीबाई ने कहा कि वे भी देखना चाहती हैं कि कौन कितने पानी में है और यह भी कि एक राजपूतानी की राखी में कितनी ताकत है। उन्होंने उत्सुकता और कुछ हद तक संदेह के साथ इस फैसले को स्वीकार किया।
3) हुमायूँ: यह मेरी खुशकिस्मती है कि मेवाड़ की बहादुर रानी ने मुझे अपना भाई बनाया।
क) हुमायूँ ने राखी प्राप्त करने पर कैसी प्रतिक्रिया दी?
उत्तर: हुमायूँ ने राखी और पत्र पाकर अत्यंत प्रसन्नता और सम्मान महसूस किया। उन्होंने इसे अपनी खुशकिस्मती माना कि मेवाड़ की बहादुर रानी कर्णावती ने उन्हें अपना भाई स्वीकार किया है, और उन्होंने इस रिश्ते को गहराई से स्वीकार किया।
ख) तातार खाँ ने हुमायूँ को क्या याद दिलाया?
उत्तर: तातार खाँ ने हुमायूँ को उनके पिता के पुराने दुश्मनियों की याद दिलाते हुए कहा कि कर्णावती उसी व्यक्ति की पत्नी हैं जो उनके अब्बाजान के जानी दुश्मन थे। उन्होंने हुमायूँ को सावधान करने का प्रयास किया।
ग) हुमायूँ ने राखी के महत्व को कैसे समझाया?
उत्तर: हुमायूँ ने कहा कि राखी के दो छोटे-छोटे धागे भी जानी दुश्मनों को मुहब्बत की न टूटने वाली जंजीरों में जकड़ देते हैं। उन्होंने बताया कि राखी भाई-बहन के पवित्र संबंध का प्रतीक है, जो सभी बैर-भावों को मिटा देती है।
घ) हुमायूँ ने दूत को क्या संदेश दिया?
उत्तर: हुमायूँ ने दूत से कहा कि बहन कर्णावती से कहना कि हुमायूँ तुम्हारे सगे भाई से बढ़कर है। उन्होंने आश्वासन दिया कि अब मेवाड़ की इज्जत उनकी अपनी इज्जत है और वे उसकी रक्षा करेंगे।
4) हुमायूँ: मैं इस रिश्ते की इज्जत रखूँगा।
क) हुमायूँ ने क्या निर्णय लिया?
उत्तर: हुमायूँ ने दृढ़ निश्चय किया कि वे राखी के इस पवित्र रिश्ते की इज्जत के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देंगे और सेना लेकर कर्णावती की सहायता करने जाएँगे।
ख) हिन्दुबेग ने हुमायूँ के निर्णय पर क्या प्रतिक्रिया दी?
उत्तर: हिन्दुबेग ने आश्चर्य और चिंतित होकर पूछा कि क्या हुमायूँ ने कर्णावती की प्रार्थना स्वीकार कर ली है। उन्होंने इस निर्णय पर सवाल उठाया, क्योंकि यह राजनीतिक दृष्टि से जोखिम भरा था।
ग) हुमायूँ ने राखी के प्रति अपने कर्तव्य को कैसे व्यक्त किया?
उत्तर: हुमायूँ ने कहा कि राखी आने के बाद सोचने का वक्त नहीं होता; यह तो आग में कूद पड़ने का न्योता है। उन्होंने बताया कि भारतीय इतिहास गवाह है कि राखी के धागों ने हजारों कुर्बानियाँ कराई हैं और वे भी इस परंपरा का सम्मान करेंगे।
घ) हुमायूँ ने सेनापति को क्या आदेश दिया?
उत्तर: हुमायूँ ने सेनापति को तुरंत फौज तैयार करने और मेवाड़ की ओर प्रस्थान करने का आदेश दिया। उन्होंने कर्णावती की सहायता के लिए तुरंत कार्रवाई करने का निर्णय लिया।
5) तातार खाँ : एक मुसलमान के ऊपर एक हिन्दू को पहल…
क) तातार खाँ ने हुमायूँ के निर्णय पर क्या सवाल उठाया?
उत्तर: तातार खाँ ने हुमायूँ से पूछा कि क्या वे एक मुसलमान के ऊपर एक हिन्दू को महत्व दे रहे हैं। उन्होंने इस निर्णय पर असहमति जताई और इसे धार्मिक दृष्टि से अनुचित माना।
ख) हुमायूँ ने तातार खाँ को क्या उत्तर दिया?
उत्तर: हुमायूँ ने कहा कि हम सब एक ही खुदा के बेटे हैं और मानवता सबसे ऊपर है। उन्होंने भाईचारे और इंसानियत के मूल्यों को महत्व दिया, जो धर्म से बढ़कर हैं।
ग) हिन्दुबेग ने क्या टिप्पणी की और क्यों?
उत्तर: हिन्दुबेग ने कहा कि यह वही औरत है जिसके पति ने कसम खाई थी कि मुगलों को हिन्दुस्तान से बाहर खदेड़े बिना चित्तौड़ में कदम नहीं रखेगा। उन्होंने पुराने शत्रुता की याद दिलाकर हुमायूँ को निर्णय पर पुनर्विचार करने का सुझाव दिया।
घ) हुमायूँ ने हिन्दुओं के रस्मों-रिवाजों के प्रति क्या भावना व्यक्त की?
उत्तर: हुमायूँ ने कहा कि वे दुनिया को दिखाना चाहते हैं कि हिन्दुओं के रस्मों-रिवाज मुसलमानों के लिए भी उतने ही प्यारे हैं जितने हिन्दुओं के लिए। उन्होंने सांस्कृतिक सद्भाव और पारस्परिक सम्मान की भावना प्रकट की।