मैंने तैरना सीखा

1) मूर्तिकला, चित्रकला, काव्यकला – संसार में अनेक कलाएँ हैं।

क) तैरने को अन्य कलाओं से अलग क्यों बताया गया है?
उत्तर: तैरने को अन्य कलाओं से अलग इसलिए बताया गया है क्योंकि तैरना सीखने के लिए केवल तकनीक जानना पर्याप्त नहीं है; इसके लिए सशरीर पानी में उतरना आवश्यक होता है। 

ख) लेखक के अनुसार तैरना सीखने के लिए क्या आवश्यक है?
उत्तर: लेखक के अनुसार तैरना सीखने के लिए सशरीर जल में प्रवेश करना और हाथ-पैरों का सही प्रयोग करना आवश्यक है। केवल पुस्तकों में तकनीक पढ़कर या सिद्धांत जानकर तैरना नहीं सीखा जा सकता। 

ग) लेखक ने तैरने की तुलना अन्य कलाओं से कैसे की है?
उत्तर: लेखक ने तैरने की तुलना मूर्तिकला, चित्रकला और काव्यकला जैसी कलाओं से की है। उन्होंने बताया है कि जहाँ अन्य कलाओं में बिना स्वयं माध्यम में प्रवेश किए ज्ञान हो सकता है, वहीं तैराकी में आपको जल में उतरकर शारीरिक रूप से अभ्यास करना पड़ता है। 

घ) तैरने की कला के महत्व पर लेखक ने क्या प्रकाश डाला है?
उत्तर: लेखक ने तैरने की कला को स्वास्थ्यप्रद व्यायाम और जीवन रक्षा के लिए आवश्यक कौशल के रूप में प्रस्तुत किया है। उन्होंने बताया है कि तैरना न केवल एक कला है, बल्कि एक ऐसी क्षमता है जो आत्मविश्वास बढ़ाती है और विपरीत परिस्थितियों में जीवन बचाने में सहायक होती है।

2) उत्तर प्रदेश में दो बहती नदियाँ हैं – गंगा और यमुना।

क) गंगा और यमुना के किनारे रहने वालों के बारे में लेखक ने क्या बताया है?
उत्तर: लेखक ने बताया है कि गंगा और यमुना के किनारे रहने वाले लोगों को तैरना जन्मसिद्ध अधिकार माना जाता है। गंगा तट के निवासी गंगाजी की पूजा करते हैं और यमुना किनारे के लोग रासलीला में भाग लेते हैं, लेकिन तैरना दोनों ही स्थानों पर सामान्य कौशल है जिसे सभी जानते हैं।

ख) लेखक ने टेम्स, मिसीसिपी और राइन नदियों के उदाहरण क्यों दिए हैं?
उत्तर: लेखक ने टेम्स, मिसीसिपी और राइन नदियों के उदाहरण देकर यह बताने का प्रयास किया है कि जैसे इन नदियों के किनारे रहने वाले लोगों के लिए कुछ विशिष्ट कलाएँ या गतिविधियाँ सामान्य हैं, वैसे ही गंगा और यमुना के किनारे रहने वालों के लिए तैरना एक सामान्य और आवश्यक कौशल है।

ग) लेखक का काशी में जन्म होने का क्या महत्व है?
उत्तर: लेखक का काशी में जन्म होना महत्वपूर्ण है क्योंकि काशी गंगा के तट पर स्थित है, जहाँ तैरना जानना आवश्यक माना जाता है। समाज की अपेक्षाओं और परंपराओं के कारण लेखक पर तैरना सीखने का दबाव था, जिसे उन्होंने स्वीकार किया।

घ) लोगों के आग्रह के पीछे क्या कारण था कि लेखक तैरना सीखें?
उत्तर: लोगों का आग्रह था कि गंगा किनारे रहने वाले व्यक्ति को तैरना आना चाहिए। यह सामाजिक मान्यता थी कि गंगा तट के निवासी तैराकी में निपुण होते हैं। इसी कारण वे लेखक पर तैरना सीखने के लिए ज़ोर डाल रहे थे, ताकि वे इस परंपरा का हिस्सा बन सकें।

3) अब मैं गुरु की खोज करने लगा।

क) तैरना सीखने के लिए लेखक ने गुरु की खोज कैसे की?
उत्तर: तैरना सीखने के लिए लेखक ने अपने नगर के प्रसिद्ध व्यायाम महापंडित की खोज की। वे तैराकी और अन्य शारीरिक कलाओं में निपुण थे और लोगों में उनकी ख्याति थी। 

ख) गुरुजी के बारे में लोगों की क्या धारणा थी?
उत्तर: लोगों की धारणा थी कि गुरुजी इतने महान तैराक हैं कि वे दिल्ली में डुबकी लगाकर आगरा में निकलते थे। यह उनकी तैराकी कौशल की अतिशयोक्ति थी, जो उनकी प्रतिष्ठा को दर्शाती है। 

ग) लेखक ने गुरुजी के बारे में क्या संदेह व्यक्त किया?
उत्तर: लेखक ने गुरुजी की अतिशयोक्तिपूर्ण प्रशंसा पर हल्का सा संदेह व्यक्त किया। उन्हें विश्वास नहीं था कि गुरुजी वास्तव में दिल्ली से आगरा तक तैर सकते हैं, लेकिन फिर भी उन्होंने उनकी ख्याति को मानते हुए उनसे तैरना सीखने का निर्णय लिया।

घ) तैरना सीखने के लिए लेखक ने किस दिन का चयन किया और क्यों?
उत्तर: लेखक ने मई महीने के एक शनिवार की शाम को तैरना सीखने के लिए चुना। यह समय इसलिए चुना गया क्योंकि गर्मी के मौसम में शाम का समय तैराकी के अभ्यास के लिए उपयुक्त होता है, और गुरुजी उस समय उपलब्ध थे।

4) मेरे गुरुजी ने यहाँ पुन: एक भाषण दिया।

क) गंगा तट का वातावरण कैसा था जब लेखक तैरना सीखने पहुँचे?
उत्तर: गंगा तट पर पत्थर की सीढ़ियाँ थीं, जहाँ लोग बैठकर मालिश, हजामत आदि कराते थे। सवेरे और शाम को यहाँ लोगों की भीड़ होती थी, जिसमें युवक, युवतियाँ, बच्चे और वृद्ध सभी शामिल थे। 

ख) गुरुजी ने तैरना सीखने से पहले क्या बताया?
उत्तर: गुरुजी ने तैरना सीखने से पहले एक छोटा सा भाषण दिया जिसमें उन्होंने अभ्यास और शैली के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि तैराकी में स्टाइल का महत्व सरकार में फाइल और शरीर में बाइल से भी अधिक है, जिससे उन्होंने शैली के महत्व को रेखांकित किया।

ग) गंगा तट के सीढ़ियों की तुलना लेखक ने किससे की है?
उत्तर: लेखक ने गंगा तट की सीढ़ियों की तुलना रोम के प्राचीन थिएटरों से की है, जहाँ मंच के चारों ओर सीढ़ियाँ बनी होती थीं और लोग बैठकर प्रदर्शन देखते थे। 

घ) तैरना सीखने के प्रारंभ में लेखक को कैसा महसूस हो रहा था?
उत्तर: तैरना सीखने के प्रारंभ में लेखक को अत्यधिक भय और घबराहट महसूस हो रही थी। वे जल से डर रहे थे और लोगों की उत्सुक दृष्टियाँ उन्हें और असहज बना रही थीं। 5) मेरे पाँव पानी में प्रवेश करने लगे।

क) पानी में उतरते समय लेखक के मन में क्या चल रहा था?
उत्तर: पानी में उतरते समय लेखक के मन में भय और असमंजस था। उन्हें लग रहा था कि सभी लोग उनकी ओर देख रहे हैं, जिससे वे और अधिक घबरा गए। उन्हें ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे वे कोई अजूबा या अनोखा प्राणी हैं जो तैरने जा रहा है।

ख) पानी में उतरते समय आसपास के लोगों की प्रतिक्रिया क्या थी?
उत्तर: आसपास के लोग उत्सुकता से लेखक को देख रहे थे। उनकी आँखों में ऐसा भाव था मानो कोई मनोरंजक दृश्य देखने जा रहे हों। यह देखकर लेखक और अधिक संकोच महसूस करने लगे और उनकी घबराहट बढ़ गई।

ग) लेखक ने पानी में उतरते हुए प्राकृतिक दृश्यों का वर्णन कैसे किया?
उत्तर: लेखक ने पानी को स्फटिक के विशाल पर्दे जैसा बताया, गंगा की मंद धारा को विशाल उपन्यास पढ़ने की तरह महसूस किया। पश्चिम में सूर्य मुस्कुरा रहा था। इन प्राकृतिक दृश्यों के माध्यम से उन्होंने अपने मनोभावों और वातावरण को खूबसूरती से चित्रित किया।

घ) गुरुजी ने लेखक को प्रोत्साहित करने के लिए क्या कहा?
उत्तर: गुरुजी ने लेखक को प्रोत्साहित करते हुए कहा, “चिंता न करो, गंगा परम पावनी है। इसमें जो डूबता है, वह भी सीधा स्वर्ग जाता है।” इस कथन से उन्होंने लेखक के भय को कम करने और साहस बढ़ाने का प्रयास किया।

6) मैं फटाफट हाथ-पैर मारने लगा।

क) पानी में उतरने के बाद लेखक ने क्या किया?
उत्तर: पानी में उतरने के बाद लेखक ने घबराहट में फटाफट हाथ-पैर मारना शुरू कर दिया। गुरुजी के निर्देश पर वे हाथ-पैर चलाने लगे, लेकिन उनकी हरकतें असंगत और बेतरतीब थीं। वे नियंत्रण खो रहे थे और डूबने का एहसास कर रहे थे।

ख) लेखक को पानी में कैसा अनुभव हुआ?
उत्तर: पानी में लेखक को ऐसा महसूस हुआ जैसे वे डूब रहे हैं। उनकी आँखों के सामने लाल सागर लहराने लगा, उन्हें लगा कि वे गंगा छोड़कर कहीं और पहुँच गए हैं। वे घबराए हुए थे और सांस लेने में कठिनाई हो रही थी।

ग) गुरुजी ने लेखक की मदद कैसे की?
उत्तर: गुरुजी ने लेखक को सहारा देकर उन्हें घाट की ओर धकेला। जब लेखक डूबने लगे, तो गुरुजी ने उनकी सहायता की और उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया। उनकी मदद से लेखक पानी से बाहर निकल सके।

घ) पानी से बाहर निकलने के बाद लेखक की शारीरिक स्थिति कैसी थी?
उत्तर: पानी से बाहर निकलने के बाद लेखक अत्यधिक थके हुए और कमजोर महसूस कर रहे थे। उनके कान, नाक, मुँह और पूरे शरीर से पानी टपक रहा था, जैसे किसी स्पंज को निचोड़ा गया हो। वे सांस लेने में कठिनाई महसूस कर रहे थे और अत्यधिक थकान का अनुभव कर रहे थे।

7) गुरुजी ने कहा, “लो, तैरना आ गया।”

क) तैराकी के प्रथम प्रयास के बाद गुरुजी ने क्या कहा?
उत्तर: तैराकी के प्रथम प्रयास के बाद गुरुजी ने उत्साहपूर्वक कहा, “लो, तैरना आ गया।” उन्होंने लेखक को प्रोत्साहित करते हुए उनकी सफलता की घोषणा की, ताकि लेखक का आत्मविश्वास बढ़ सके।

ख) लेखक ने अपने तैराकी अनुभव को कैसे संक्षेप में बताया?
उत्तर: लेखक ने अपने तैराकी अनुभव को हास्यपूर्ण और व्यंग्यात्मक ढंग से बताया। उन्होंने अपनी घबराहट, डूबने का एहसास, और गुरुजी की सहायता का वर्णन करते हुए इस अनुभव को मनोरंजक बनाया।

ग) इस अनुभव से लेखक ने क्या सीखा?
उत्तर: इस अनुभव से लेखक ने सीखा कि तैरना सीखना केवल तकनीक का मामला नहीं है, बल्कि इसमें भय पर विजय पाना और साहस का होना आवश्यक है। उन्होंने समझा कि अभ्यास और गुरु के मार्गदर्शन से ही सफलता प्राप्त की जा सकती है।

घ) लेखक ने तैराकी सीखने की प्रक्रिया को किस रूप में प्रस्तुत किया है?
उत्तर: लेखक ने तैराकी सीखने की प्रक्रिया को एक रोमांचक और चुनौतीपूर्ण अनुभव के रूप में प्रस्तुत किया है। उन्होंने अपने भय, समाज की प्रतिक्रियाओं, और गुरुजी के प्रशिक्षण को मिलाकर एक रोचक कथा बनाई है।

8) “बेढब बनारसी”

क) “बेढब बनारसी” किसका उपनाम है और इसका क्या महत्व है?
उत्तर: “बेढब बनारसी” लेखक कृष्णदेव का उपनाम है, जो उनकी हास्य-व्यंग्यपूर्ण लेखन शैली को दर्शाता है। यह नाम बनारस की सांस्कृतिक और भाषाई विशेषताओं को प्रतिबिंबित करता है।

ख) इस पाठ में हास्य-व्यंग्य का उपयोग कैसे किया गया है?
उत्तर: इस पाठ में हास्य-व्यंग्य का उपयोग तैराकी सीखने के अनुभव को रोचक और मनोरंजक बनाने के लिए किया गया है। लेखक ने अपने भय, गुरुजी की अतिशयोक्तिपूर्ण प्रशंसा, और सामाजिक प्रतिक्रियाओं को व्यंग्यात्मक तरीके से प्रस्तुत किया है।

ग) लेखक ने समाज की किन विसंगतियों पर प्रहार किया है?
उत्तर: लेखक ने समाज में प्रचलित परंपराओं, मान्यताओं और लोगों की उत्सुकता पर व्यंग्य किया है। उन्होंने दिखाया है कि कैसे सामाजिक दबाव व्यक्ति पर प्रभाव डालता है और लोग दूसरों की कठिनाइयों को मनोरंजन का साधन बना लेते हैं।

घ) पाठ का मुख्य संदेश क्या है?
उत्तर: पाठ का मुख्य संदेश है कि किसी भी कला को सीखने के लिए व्यक्तिगत प्रयास, साहस और अभ्यास की आवश्यकता होती है। सामाजिक अपेक्षाओं और दबावों के बावजूद व्यक्ति को अपने भय पर विजय पाकर आगे बढ़ना चाहिए।

9) तैरना एक कला होने के साथ-साथ स्वास्थ्यप्रद व्यायाम भी है।

क) लेखक ने तैराकी को स्वास्थ्यप्रद व्यायाम क्यों कहा है?
उत्तर: लेखक ने तैराकी को स्वास्थ्यप्रद व्यायाम इसलिए कहा है क्योंकि यह पूरे शरीर के लिए लाभदायक है। तैरना करते समय शरीर के सभी अंग सक्रिय होते हैं, जिससे शारीरिक शक्ति और सहनशीलता बढ़ती है। यह हृदय और फेफड़ों के लिए भी फायदेमंद होता है।

ख) अन्य कलाओं की तरह तैराकी को सीखना क्यों आवश्यक है?
उत्तर: अन्य कलाओं की तरह तैराकी को सीखना आवश्यक है क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण कौशल है जो जीवन रक्षा में सहायक हो सकता है। आपातकालीन स्थितियों में तैराकी जानना जीवन बचा सकता है, इसलिए इसका ज्ञान होना महत्वपूर्ण है।

ग) लेखक ने तैराकी सीखने में आने वाली कठिनाइयों को कैसे दर्शाया है?
उत्तर: लेखक ने तैराकी सीखने में आने वाली कठिनाइयों को अपने व्यक्तिगत अनुभवों और हास्यपूर्ण वर्णन के माध्यम से दर्शाया है। उन्होंने भय, घबराहट और सामाजिक दबाव को रोचक तरीके से प्रस्तुत किया है, जिससे पाठक इन चुनौतियों को समझ सकें।

घ) पाठ के अनुसार तैराकी सीखने के लिए क्या मनोवैज्ञानिक बाधाएँ होती हैं?
उत्तर: पाठ के अनुसार तैराकी सीखने में मुख्य मनोवैज्ञानिक बाधाएँ भय, आत्मविश्वास की कमी और समाज की प्रतिक्रियाओं का डर हैं। व्यक्ति को अपने अंदर के भय पर विजय पाकर साहस के साथ अभ्यास करना होता है।

10) लेखक ने समाज की विसंगतियों पर कैसे प्रहार किया है?

क) लेखक ने तैराकी सीखने के प्रसंग में समाज की किन विसंगतियों को उजागर किया है?
उत्तर: लेखक ने तैराकी सीखने के दौरान समाज के उन पहलुओं को उजागर किया है जहाँ लोग दूसरों की कठिनाइयों को मनोरंजन के रूप में देखते हैं। उन्होंने दिखाया है कि कैसे सामाजिक दबाव और अपेक्षाएँ व्यक्ति को असहज कर सकती हैं।

ख) पाठ में व्यंग्य का प्रमुख लक्ष्य क्या है?
उत्तर: पाठ में व्यंग्य का प्रमुख लक्ष्य समाज की उन मान्यताओं और परंपराओं पर प्रहार करना है जो व्यक्तियों पर अनावश्यक दबाव डालती हैं। लेखक ने हास्य के माध्यम से इन विसंगतियों को प्रस्तुत किया है ताकि पाठक इन पर विचार कर सकें।

ग) लेखक ने अपनी घबराहट और अनुभवों को कैसे व्यक्त किया है?
उत्तर: लेखक ने अपनी घबराहट और अनुभवों को हास्यपूर्ण और सहज भाषा में व्यक्त किया है। उन्होंने अपनी भावनाओं, शारीरिक प्रतिक्रियाओं और मनोवैज्ञानिक स्थिति का वर्णन करते हुए पाठ को रोचक बनाया है।

घ) इस पाठ से पाठकों को क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर: इस पाठ से पाठकों को यह शिक्षा मिलती है कि किसी भी नए कौशल को सीखने में चुनौतियाँ आती हैं, लेकिन साहस और प्रयास से उन्हें पार किया जा सकता है। साथ ही, यह भी कि समाज की अपेक्षाओं से प्रभावित होने के बजाय स्वयं पर विश्वास करना चाहिए।

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