क) उसकी इस शरारत पर भी सबको बड़ी हंसी आती थी।
1) रात के खाने के संबंध में दादाजी ने क्या नियम बनाया था?
उत्तर: दादाजी समय के बड़े पाबंद थे। उनके घर में रात का खाना हर रोज नौ बजे ही खाया जाता था और परिवार के सभी सदस्य मिलकर एक साथ बैठकर खाते थे।
2) खाने की मेज के पास पहुंचकर दादाजी को आश्चर्य क्यों हुआ?
उत्तर: दादाजी जब खाने की मेज के पास पहुंचे तो उन्होंने देखा कि उनका 12 साल का पोता अक्षय खाने की मेज पर मौजूद नहीं था। इसलिए उन्हें आश्चर्य हुआ।
3) अक्षय का स्वभाव कैसा था?
उत्तर: अक्षय बहुत ही चुलबुला और शरारती था। उसकी वजह से पूरे घर में हंसी-खुशी का माहौल बना रहता था। वह रोज सबसे पहले खाने की मेज पर पहुंच जाता और फिर ‘भूख लगी है, खाना दो, भूख लगी है, खाना दो’ कहता हुआ शोर मचाता।
4) अक्षय की मम्मी ने अक्षय के खाना खाने के लिए नहीं आने का क्या कारण दादाजी को बताया?
उत्तर: अक्षय की मम्मी ने दादाजी को बताया कि अक्षय का कल स्कूल में मासिक टेस्ट है। वह उसी की पढ़ाई में लगा हुआ है। इसलिए खाना खाने समय पर नहीं आया। वह पढ़ाई पूरी करने के बाद ही खाना खाएगा चाहे कितनी भी देर क्यों न हो जाए।
ख) अगर तुम्हें अपने टेस्ट में अच्छे अंक लाने हैं तो तुम्हें नियमित रूप से पढ़ना होगा।
1) दादाजी जब अक्षय के कमरे में गए तो उन्होंने क्या देखा?
उत्तर: दादाजी जब अक्षय के कमरे में गए तब वह एक किताब पढ़ते हुए, हल्के हल्के बड़बड़ाते हुए कुछ याद करने की चेष्टा कर रहा था। वह याद करने में इतना डूबा था कि उसे दादाजी के आने का पता भी नहीं चला।
2) जब अक्षय स्कूल से वापस आया तो उसके चेहरे पर उदासी क्यों थी?
उत्तर: अक्षय जब स्कूल से वापस आया तो उसके चेहरे पर उदासी थी क्योंकि एक दिन पहले उसने देर रात तक बैठकर बहुत पढ़ाई की। फिर भी टेस्ट खराब हो गया। रात को जो कुछ याद किया था वह सुबह टेस्ट देते समय भूल गया।
3) दादाजी के अनुसार अक्षय का टेस्ट खराब क्यों गया?
उत्तर: दादाजी के अनुसार अक्षय ने नियमित पढ़ाई नहीं की और एक ही दिन में सारी पढ़ाई कर लेनी चाहिए। इसलिए उसका टेस्ट खराब गया।
4) अक्षय नियमित रूप से क्यों नहीं पढ़ पाता था और उसकी समस्या को हल करने के लिए दादाजी ने क्या उपाय बताया?
उत्तर: अक्षय चाहता था कि वह रोज कुछ अध्याय पढ़े, उन्हें याद करे पर उसे समय नहीं मिल पाता था। उसकी इस समस्या को हल करने के लिए दादाजी ने उसे समय के प्रबंधन का सुझाव दिया।
ग) बस यहीं से समय प्रबंधन की बात शुरू होती है।
1) दादाजी ने समय के प्रबंधन का क्या अर्थ बताया?
उत्तर: दादाजी ने समय के प्रबंधन का अर्थ बताते हुए कहा कि प्रत्येक दिन में हमें जितने भी काम करने हैं, उनमें से हर काम के ऊपर लगने वाले समय को एक निश्चित मात्रा में नियंत्रित रखना और उस नियंत्रित समय में योजना बनाकर इस प्रकार से कार्य करना जिससे कि काम अधिक प्रभावी ढंग से हो सके।
2) अक्षय ने दादाजी को अपनी दिनचर्या क्या बताई?
उत्तर: अक्षय सुबह उठकर स्कूल के लिए तैयार होता है और नाश्ता करके स्कूल जाता है। दोपहर में स्कूल से आकर हाथ और मुंह धोकर कपड़े बदलकर खाना खाता है। फिर कुछ देर के लिए सो जाता है। शाम को उठने के बाद दोस्तों के साथ बाहर खेलने जाता है, फिर घर जाकर स्कूल से मिला गृह कार्य पूरा करता है। उसके बाद वह टीवी देखता है, फिर रात के
खाने के बाद कुछ देर कंप्यूटर पर बैठता है। उसके बाद सो जाता है। यह उसकी पूरी दिनचर्या है जो उसने दादाजी को बताई।
3) दादाजी के अनुसार समय प्रबंधन की शुरुआत किस बात से होती है?
उत्तर: दादाजी के अनुसार हम अपनी किसी गतिविधि में रोज कितना समय लगाते हैं, इस बात का हिसाब रखने से समय प्रबंधन की शुरुआत होती है।
4) दैनिक गतिविधियों की समय सारणी को तैयार करने के बारे में दादाजी ने क्या बताया?
उत्तर: दादाजी ने कहा कि समय प्रबंधन के लिए यह जरूरी है कि हम अपनी सभी दैनिक गतिविधियों की एक समय सारणी तैयार करें। अपनी सभी गतिविधियों और कार्यों की लिखित रूप में एक सूची बनाएं। फिर इस बात का अनुमान लगाए कि उनमें से प्रत्येक कार्य कम से कम कितने समय में हो सकता है। समय सीमा इस प्रकार निर्धारित करनी चाहिए कि हमारे सभी दैनिक कार्यों को उचित समय मिल सके।
5) दादाजी ने अक्षय को समय का महत्व किन शब्दों में बताया?
उत्तर: दादाजी ने अक्षय से कहा कि समय बहुत मूल्यवान है। इसलिए हमें उसका बहुत सम्मान करना चाहिए। जीवन में मनचाही सफलता पाने के लिए यह बहुत ही आवश्यक कदम है। संसार में जितने भी महापुरुष या सफल व्यक्ति हुए हैं, उन सबकी सबसे बड़ी विशेषता यही थी कि उन्होंने अपने समय का सही तरीके से उपयोग किया था।