अपने नगर के किसी पुस्तकालय के अध्यक्ष से उनके पुस्तकालय की दुर्दशा से सम्बंधित पत्र लिखिए |
सेवा में,
अध्यक्ष,
सरस्वती पुस्तकालय
फोर्ट, मुंबई
विषय: पुस्तकालय की दुर्दशा की ओर ध्यान आकर्षित करने हेतु |
महोदय,
मैं पिछले पाँच वर्षों से आपके पुस्तकालय का सदस्य हूँ | इस लम्बे समय में आपके पुस्तकालय ने मेरी ज्ञान वृद्धि में अमूल्य योगदान दिया है | मेरा प्रतिदिन कम से कम एक घंटा आपके पुस्तकालय में विभिन्न विषयों की किताबें पढ़ते हुए बीतता है | मैं आपको आपके इस सामजिक कार्य के लिए धन्यवाद देता हूँ |
आपके पुस्तकालय का सदस्य व प्रशंसक होने के नाते मैं आपका ध्यान वर्तमान समय में पुस्तकालय की दयनीय स्थिति की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ | पुस्तकालय में सिर्फ २ कर्मचारी हैं, जबकि कुछ माह पहले तक ४ हुआ करते थे | ये दो कर्मचारी इतने बड़े पुस्तकालय का ठीक से ध्यान नहीं रख पा रहे हैं | किताबें अब पहले की तरह सुनियोजित नहीं रहती | लोग पढ़ने के बाद लापरवाही से यहाँ-वहाँ छोड़ जाते हैं | लोकप्रिय पुस्तकालय होने के कारण यहाँ काफी लोग आते हैं | दो कर्मचारिओं के लिए यह असंभव है कि वो सब पर नजर रखे |
सही तरह से निगरानी न हो पाने के कारण किताब चोरी की कई घटनाएँ हुई हैं | कई किताबों के पृष्ठ भी फाटे हुए मिलते हैं | लोग अपनी पसंद के चित्र किताबों से काट ले जाते हैं | इससे कई बेशकीमती किताबें नष्ट हो चुके हैं | इसके अलावा पिछले 6 महीनों से पुस्तकालय ने नई किताबें मँगानी बंद कर दी है | मासिक व साप्ताहिक किताबें आनी तो बंद हो चुकी है | अब समाचारपत्र भी बंद कर दिए गए हैं |
फटी-पुरानी किताबें, नई पुस्तकों का अभाव, समाचारपत्रों का न होना यह सब मिलकर आपके पुस्तकालय की प्रतिष्ठा को धूल में मिला रहे हैं | मेरी आपसे प्रार्थना है कि इन सब विषयों पर ध्यान देते हुए, इन कमियों को पूरा करने के लिए त्वरित कदम उठाये | देश के सामजिक विकास में पुस्तकालयों का अमूल्य योगदान होता है | अतः मुझे उम्मीद है कि इस विषय का महत्व समझते हुए आप उचित कदम उठाएंगे |
प्रार्थी,
अविनाश पाटिल,
दादर पश्चिम,
मुंबई – १७
दिनांक : …………………..