मनुष्य जिस भूमि पर जन्म लेता है, जहाँ की मिट्टी में खेलता है, जहाँ के जल से अपनी प्यास बुझाता है और जहाँ की हवा में साँस लेता है, वह भूमि उसके लिए माता के समान होती है। इस भूमि के प्रति, अपने देश के प्रति प्रेम की भावना ही देश प्रेम कहलाती है। यह सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि एक गहरी भावना है जो हमारे दिल में बसी होती है और हमें अपने राष्ट्र के प्रति कर्तव्यों का बोध कराती है। इसी विषय पर राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की एक प्रसिद्द कविता है :
जिसकी रज में लोट-लोट कर बड़े हुए हैं,
घुटनों के बल सरक-सरक कर खड़े हुए हैं।
परमहंस सम बाल्यकाल में सब सुख पाए,
जिसके कारण ‘धूल भरे हीरे’ कहलाए।
हम खेले-कूदे हर्षयुक्त, जिसकी प्यारी गोद में,
हे मातृभूमि! तुझको निरख मग्न क्यों न हों मोद में?
देश प्रेम की भावना हमें अपने देश की गौरवशाली परंपराओं, इतिहास और संस्कृति से जोड़ती है। जब हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों को याद करते हैं, तो हमारे मन में उनके प्रति आदर और अपने देश के प्रति गर्व का भाव उमड़ पड़ता है। यह भावना हमें सिखाती है कि हम अपने व्यक्तिगत स्वार्थों से ऊपर उठकर देश के हित के लिए सोचें और काम करें। एक सच्चा देश प्रेमी वही है जो अपने देश के विकास और उन्नति के लिए हर संभव प्रयास करता है।
इतिहास गवाह है कि जब-जब देश पर कोई संकट आया है, देश प्रेम की भावना ने ही लोगों को एकजुट किया है। चाहे वह बाहरी आक्रमण हो या आंतरिक चुनौतियाँ, देश प्रेम की अग्नि ने ही भारतीयों को एक साथ खड़े होने की शक्ति दी है। रानी लक्ष्मीबाई ने अपनी झांसी के लिए, भगत सिंह ने अपनी युवावस्था में देश की आजादी के लिए और महात्मा गांधी ने अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराया। शिवाजी महाराज ने मुगलों से लोहा लेकर स्वराज की स्थापना की। सुभाष चंद्र बोस ने “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा” का नारा देकर लाखों युवाओं में देशभक्ति की आग जलाई। इन अनेक महापुरुषों ने अपने देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। उनका जीवन हमें सिखाता है कि देश प्रेम सिर्फ नारों में नहीं, बल्कि कार्यों में भी दिखना चाहिए।
माटी की खुशबू, हवा में जान,
यह मेरा भारत, मेरा अभिमान।
हर कण-कण में बसा है प्यार,
देश ही मेरा जीवन का सार।
आज के आधुनिक युग में देश प्रेम का अर्थ केवल सीमाओं पर दुश्मनों से लड़ना ही नहीं है। आज देश प्रेम का अर्थ है अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करना। शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर काम करना, साफ-सफाई रखना, पर्यावरण की रक्षा करना, भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना, और अपने समाज के कमजोर वर्गों की मदद करना – ये सब भी देश प्रेम के ही विभिन्न रूप हैं। जब हर नागरिक अपनी जिम्मेदारी समझेगा और उसे निभाएगा, तभी हमारा देश सच्चे अर्थों में मजबूत और विकसित होगा।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारा देश विभिन्न भाषाओं, धर्मों और संस्कृतियों का संगम है। देश प्रेम की भावना हमें इन विविधताओं में एकता का पाठ पढ़ाती है। यह हमें सिखाती है कि हम एक-दूसरे का सम्मान करें और मिलकर एक ऐसे भारत का निर्माण करें जहाँ हर कोई शांति और सद्भाव से रह सके।
मिलकर चलें, कदम से कदम,
देश के लिए, हर पल हर दम।
हम सब भारतीय हैं, एक हैं हम,
देश प्रेम का हो हर दिल में दम।
अंततः, देश प्रेम हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग होना चाहिए। यह हमें सिर्फ एक नागरिक होने का अहसास नहीं कराता, बल्कि हमें एक महान राष्ट्र के हिस्से के रूप में गर्व महसूस कराता है। हमें अपने बच्चों में भी इस भावना को जगाना चाहिए, ताकि वे भी बड़े होकर एक जिम्मेदार और देशभक्त नागरिक बन सकें। क्योंकि जब तक हमारे देश का हर व्यक्ति अपने देश से प्रेम करेगा, तब तक कोई भी शक्ति हमारे देश को कमजोर नहीं कर पाएगी।