ब-512, महावीर हाइट्स,
गांवदेवी रोड़,
दादर (पश्चिम),
मुंबई – 400028
दिनांक :
प्रिय अनुज विनोद,
सस्नेह आशीर्वाद।
मैं यहाँ कुशलता से हूँ और आशा करता हूँ कि तुम भी हॉस्टल में स्वस्थ और खुश होगे। माँ-पिताजी भी कुशल हैं और तुम्हें बहुत याद करते हैं। मुझे पता चला है कि तुम आजकल अपनी पढ़ाई में बहुत व्यस्त हो और खेलने-कूदने या व्यायाम पर ध्यान नहीं दे रहे हो। इसी बारे में मैं तुम्हें यह पत्र लिख रहा हूँ।
प्रिय विनोद, पढ़ाई बहुत ज़रूरी है, लेकिन स्वास्थ्य और शारीरिक श्रम का महत्व भी उतना ही ज़्यादा है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। यदि तुम शारीरिक रूप से स्वस्थ नहीं रहोगे, तो कितनी भी पढ़ाई कर लो, तुम्हारा मन नहीं लगेगा और तुम चीज़ों को ठीक से समझ नहीं पाओगे। शारीरिक श्रम जैसे कि खेल-कूद, व्यायाम, या सुबह की सैर, हमारे शरीर को मज़बूत बनाती है, रक्त संचार (blood circulation) को बेहतर करती है, और हमें बीमारियों से लड़ने की शक्ति देती है। जब हम शारीरिक श्रम करते हैं, तो हमारा शरीर सक्रिय रहता है, जिससे आलस्य दूर होता है और हम तरोताज़ा महसूस करते हैं। यह न केवल हमारे शरीर को फिट रखता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद है। यह तनाव कम करता है, एकाग्रता बढ़ाता है और नींद भी अच्छी आती है।
तुम हमेशा से पढ़ाई में अच्छे रहे हो, लेकिन अपने स्वास्थ्य को नज़रअंदाज़ मत करो। हॉस्टल में रहते हुए भी तुम कुछ समय निकालकर रोज़ाना व्यायाम कर सकते हो, या खेल के मैदान में जाकर कोई खेल खेल सकते हो। मुझे उम्मीद है कि तुम मेरी बात को गंभीरता से लोगे और आज से ही अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना शुरू करोगे। माँ और पिताजी ने आशीर्वाद भेजा है। अपनी सेहत का ध्यान रखना।
तुम्हारा भाई,
अनिल शर्मा